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Monday 30 April 2012

कुछ पास नही , खोने के लिए ......

सब कहते  है, खो जाएगा सब !
कुछ पास नही , खोने के लिए !!
ऊपर वाले ने , लिखा है जो !
सब होता है ,होने के लिए !!  
 
मेरी इसमें कोई खता नहीं !
ये वक़्त की सारी आंधी है !!
यहाँ कुछ दिन की आबादी है !
फिर चारो तरफ बर्बादी है !!
 
यहाँ खुशियाँ तो आती है मगर !
कुछ पल में वो चली जाती है !!
लूट कर, हमसे वो  हमको ही !
बस यादें वो दे जाती है !!
 
ये खुशियों का संसार नहीं !
बस गमो का , आना - जाना है !!
वो जीता है यहाँ खुश होकर !
जिसने गम को पहचाना है !!
 
मैं भी गम को, पहचान गया !
खुशियों का राज़ मैं जान गया !!
ना कोई शमा है यहाँ , ना परवाना है !
बस गम ही अपना ठिकाना है !!
 

Saturday 28 April 2012

याद में तेरी हम , आज फिर से रो लिए

उड़ चुकी थी नीद , और जागकर हम सो लिए !,
याद में तेरी हम , आज फिर से रो लिए !! 
 
था तन्हाई का तूफ़ान......
थी आंसुओ की बारिश .........
चेहरा तो हमने अपने ......
उन आंसुओ से धो लिए .......
 
उड़ चुकी थी नीद , और जागकर हम सो लिए !,
याद में तेरी हम , आज फिर से रो लिए !! 
 
एक इंतज़ार में तेरे ....
कब से खड़े थे दर पे ....
तू वफा कर, या बेवफाई ...
हम तो तेरे हो लिए ....
 
उड़ चुकी थी नीद , और जागकर हम सो लिए !,
याद में तेरी हम , आज फिर से रो लिए !! 
 

Thursday 26 April 2012

अब बचा नहीं, कुछ कहने को.......

अश्को का समुन्दर सुख गया !
अब बचा नहीं कुछ बहने को !!
मेरी ख़ामोशी सब कुछ कह गयी !
अब बचा नहीं कुछ कहने को !! 
 
कहने को तो, हमदर्द तुझे !
वो दिए जो मीठे दर्द मुझे !!
मुझे दर्द सभी अपने दे दे !
अब बचा नही कुछ सहने को !!
 
ये ख़ामोशी , ये तन्हाई !
नही साथ रही ,मेरी परछाई !!
यूं ही हाल पे , मेरे मुझको छोडो !
मैं जैसा हूँ , मुझे रहने दो !!
 
अश्को का समुन्दर सुख गया !
अब बचा नहीं कुछ बहने को !!
मेरी ख़ामोशी सब कुछ कह गयी !
अब बचा नहीं कुछ कहने को !! 
 
  

Friday 20 April 2012

इन लबों पे कहाँ अब हसीं आएँगी ..........

मुझसे पूछो जरा !
दर्द होता है क्या !! 
बिन तेरे ए सनम !
तनहा कैसे जिया !!
 
वो यादे तेरी मुझको तड़पायन्गी !
इन लबों पे कहाँ अब हसीं आएँगी !!
मुझको दिए जो तुने वो गम !
उन गमो का प्याला है मैंने पिया !!
 
मुझसे पूछो जरा !
दर्द होता है क्या !!
 
वो रातें भी कितनी हसीं थी यारा !
पाया था मैंने , जिनमे प्यार तुम्हारा !!
अपने आप से ही सहेम सा जाता हूँ मैं !
 इस कद्र तुने मुझको तोड़ दिया !!
 
मुझसे पूछो जरा !
दर्द होता है क्या !! 
बिन तेरे ए सनम !
तनहा कैसे जिया !!

Monday 9 April 2012

सुनो जरा तुम सुनकर जाना ..............

सुनो जरा तुम सुनकर जाना !
दिल को मेरे चुन कर जाना !!
दुनिया हमसे रूठ भी जाये !
अपना कोई छुट भी जाये !!
चाहे जान हमारी ले लो !
रूठ के हमसे पर ना जाना !!
सुनो जरा तुम सुनकर जाना !
दिल को मेरे चुन कर जाना !!
जब जब ख्वाबो में तुम आये !
हँसते रहे और , आंसू भर आये !!
निहारते रहे तुझको एक टक ही !
अचानक टुटा ख्वाब सुहाना !!
सुनो जरा तुम सुनकर जाना !
दिल को मेरे चुन कर जाना !!
जिंदगी तेरे साथ ही जी ली !
बिछड़ के तुझसे थोड़ी पी ली !!
तेरी याद में इतना पी गये !
खाली हम  कर गये पैमाना !
सुनो जरा तुम सुनकर जाना !
दिल को मेरे चुन कर जाना !!

Saturday 7 April 2012

एक अजनबी से प्यार ...........

मेरी जिंदगी में तेरे आते ही,  जैसे एक बेसहारा को सहारा मिल गया , एक डूबता को किनारा मिल गया , कितने सपने देखने लगा था मैं भी , ये जानते हुए की सपने सपने ही होते है ,चला था तुमको साथी बनाने मगर शायद किस्मत को ये मंजूर ना था ,याद है मुझको आज भी जब पहली बार देखा  था  तुमको , कितनी मासूमियत थी चेहरे पर तुम्हारे , वो सादगी भरा लिबास ,मुझको तुम्हारी और खीच ले गया .लेकिन हम मिल ना पाए , हाँ ....इंतज़ार तो तुम्हारा आज भी मुझको और यकीं भी  अगर जिंदगी ने साथ दिया  तो एक बार ये अजनबी ज़रूर मिलेंगे.वो खिलखिलाती  हसीं ..आज भी मेरी तन्हाई को झिझोंड देती है और मैं एक  बार फिर ४ वर्ष पहले फ्लेश बेक में चला  जाता हूँ  .और वहां ( खाव्बो में ) तुमको पाता हूँ.तुम तो शायद आज भी ना जानते होंगे मुझको, ना पहचानते होंगे मुझको.और मुझको भी तुम्हारा ना नाम मालूम है  , ना पता .बस एक अजीब सा रिश्ता है .उसी रिश्ते  के  सहारे  जी रहा हूँ , और सोचता हूँ की, की इस प्यार को मैं क्या नाम दूं. हमारे बीच रिश्ता  बनने से पहले  ही टूट गया तुझसे बिछड़ने के बाद , मुझे जिंदगी एक बोझ सी लगने लगी ..जैसे ही  मैं हार मानता ..तेरी  परछाई मेरे सामने आती और मुझे समझाती.की बस एक कदम और शर्मा जी  ..और मुझमे एक शक्ति  सी भर देती ! मैं फिर खड़ा होता और निकल  पड़ता जिंदगी की  खोज में !  तुमसे मेरा कोई रिश्ता ना होकर भी अक अनोखा रिश्ता बन गया ,आज उन्ही को शब्दों  की माला में पिरोकर  लिख रहा हूँ    !  जाने कितनी ही कोशिश की तेरे दीदार की ...मगर अफशोश ये मुमकिन  ना हो  सका  . और आज भी ये आँखें तेरा ही करती है ...........इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार .............कभी तो मिल जाना यार ...................
 
नोट : ये एक सच्ची घटना है. एक बार ज़रूर पढना ! ब्लॉग पर आकर समय देने के लिए धन्यवाद !

Thursday 5 April 2012

क्या आपके जीवन में ऐसा हुआ है .....

प्यार .......
लोग बहुत प्यार करते है आजकल , जिन्हें ये भी नहीं पता , की प्यार होता क्या है !
बस किसी के प्रति आकर्षण हुआ , और बस हो गया प्यार ........
दोस्तों अगर ये ही प्यार होता है तो क्यों आज के ज़माने में ऐसे दीवाने सामने नही आये ......
जो .....
रोमियो जूलियट की तरह थे ..
लैला मजनू की तरह थे ...
सोनी महिवाल की तरह थे ...
क्योंकि ये प्यार नही , किसी सुन्दर वास्तु के प्रति आकर्षण है ..
जिसको हम लोग जान पूछकर प्यार का नाम देने लगते है ,......
पता तो हमको भी नहीं की ये प्यार क्या है .....
ये कैसा है ..... की पता न होते हुए भी सब इसको पाना चाहते है .
लेकिन प्यार सदियों में किसी नसीब वाले का दरवाजा खटखटाता है ....
प्यार एक सुन्दर एहसास है ...
जो हर किसी को जीवन में एक बार होता है .....
चाहे वो किसी से भी क्यों ना हो ...
जो लोग प्यार में होते है , उनकी दुनिया रंगीन होती है ....
लेकिन इसमें जुदाई आ जाये तो .....
दीवानों की हर शाम गमगीन होती है ....
क्या आपके जीवन में ऐसा हुआ है .
कोई ख्वाब कभी अनछुआ रहा है ...
क्या कभी किसी दिल ने आपसे कुछ कहा है ...
अगर कुछ मानते हो मुझको तो बताओ.........
क्या तुमको कभी किसी से प्यार हुआ है........... 

Wednesday 4 April 2012

समझ गया मैं तेरी उदासी को..............

जिंदगी ,,,,, हाँ
जिंदगी ही तो है ..........
मगर आज ना जाने क्यों कुछ उदासी है इसमें.
आखिर ऐसा क्या हुआ इसके साथ ....
ये तो कभी ऐसी नही रहती थी......
हर  पल चेह्चाहती रहती ........
रोते हुए को भी हंसा देती.......
मगर आज चेहरे पर क्यों सूनापन है .....
क्यों आज इसके लब खामोश है ......
कहीं कोई रूठा तो नहीं है .......
कोई ख्वाब टुटा तो नहीं है ........
लेकिन मैं तो बहुत करीबी दोस्त हूँ इसका ......
इसने कभी हार नहीं मानी......
बड़ी से बड़ी मुश्किल इसे डिगा नहीं पाई ...
फिर आज ये ख़ामोशी .......क्या राज़  हो सकता है ......
सुनो तुम........
मुझसे नहीं बताओगी.........
इस हँसते हुए चेहरे पर उदासी अच्छी नहीं लगती.....
हंसो ना ......
जिंदगी (रोते हुए )........
अब कैसे हंसू ......किसकी खातिर हंसू ........
अब कोई मुझे खुसी से नही जीता ......
एक बार समझने लायक हुए ,,,,,,की इस पैसे के लिए ...
मुझको कमाने लग जाते है ......
और पैसे की इस अंधी दोड़ में , मुझको ही नहीं , अपने अपनों को भूल जाते है .....
कैसा रहता है वो बचपन .........वो कहानी ......वो किस्से ......
जवानी में आते ही सब झूठे सिद्ध हो जाते है ..........
सब इस बेरन जवानी पर इठलाते है ......
मगर अंत में कुछ हाथ नहीं आता ,,,,,,,,,
मनुष्य खाली हाथ ही ... लौट जाता है
सिर्फ खाली ............
मैं बोला .........बस समझ गया मैं तेरी उदासी को..............
तेरी रूह प्यार की प्यासी को ..........
 
अगर कुछ गलत लिख दिया गया हो तो ,,,,,,माफ़ी चाहते है