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Thursday 19 December 2013

खुद को, सपनो की रानी लिखना...

बस उसे मेरी दीवानी लिखना !
तुम ऐसी कोई कहानी लिखना !!
कुछ लिखना बीते लम्हो को !
कुछ सपनो कि जुबानी लिखना !!

तुम हँसते रहना, बस हर पल यूँ !
तुम इन आँखों का पानी लिखना !!
कुछ खुशियों की सौगाते लिखना !
कुछ पीड, कोई पुरानी लिखना !!

तुम दिन का हर एक किस्सा लिखना !
कुछ प्यार-व्यार का हिस्सा लिखना !!
कुछ ताज़गी लिखना, सहरा की !
कुछ शाम कोई , सुहानी लिखना !!

और रातों के कुछ ख्वाब भी लिखना !
ख्वाबो में वो , इंतज़ार भी लिखना !!
तुम लिखना, वो सारी बाते !
खुद को, सपनो की रानी लिखना !!

पी के ''तनहा''








Friday 22 November 2013

अब कोई नही गुजरता उस राह से ....

उस राह से अब कोई नही गुजरता !
जहां देखा था तुमको पहली बार ,
और दिल में उतर गयी थी तस्वीर तुम्हारी ...
मैं रोज़ पहुँच जाता था, तुमसे पहले
दीदार करने तुम्हारा
और तुम मेरे सामने उतरती थी ..
हर रोज़ अपने पापा कि बाइक से
मैं यूँ ही देखा करता था
सड़क पार करते हुए
तुम्हारी सादगी को ...
मगर हिम्मत न हुई कभी तुमसे कहने कि
लबो को आदत सी हो गयी
खामोश रहने कि ..
मगर उस राह से अब कोई नही गुजरता !
फिर एक दिन अचानक,
तूफ़ान जो आया ...
मुझे फिकर थी, खुद से ज्यादा तुम्हारी
और वो जो उड़ गया था
हवा से दुप्पटा तुम्हारा
और हथेली से ढक ली मैंने अपनी आँखे
मगर अँगुलियों के बीच से जो देखा
तो देख रही थी तुम मुझको भी
कहना चाहती थी शायद , मेरी ही तरह
मगर ...
मगर उस राह से अब कोई नही गुजरता !
एक हलकी सी मुस्कान ...तुम्हारी
मेरे दिल कि धड़कन , सहेजे है आज भी
करती है इंतज़ार तुम्हारा ...
मगर तुम ना जाने .कहाँ हो
आज भी निरंतर इंतज़ार में हूँ तुम्हारे
उसी सड़क पर , देखता हूँ राह तुम्हारी
कि तुम आओगी ..
मगर उस राह से अब कोई नही गुजरता !

 पी के ''तनहा''
कवि @ मेरा हमसफ़र 

Thursday 14 November 2013

ज़िंदगी वो थी, जो ज़िंदगी थी

वो ज़िंदगी भी क्या ज़िंदगी थी !
जिस ज़िंदगी में, मेरी ज़िंदगी थी !!
ये ज़िंदगी भी क्या ज़िंदगी है !
ज़िंदगी वो थी, जो ज़िंदगी थी !!

 पी के ''तनहा''

Friday 8 November 2013

चाहा बहुत था मगर, चाहत का कोई फूल ना खिला !
अपनों में बहुत ढूंढा, मगर कोई अपना नही मिला !!
संजोने चले थे हम भी , खुशियो के चंद पल !
बदले में हमको, बस गम ही गम मिला !!



पी के ''तनहा''

पी के ''तनहा''

ना पूछ मुझसे, मैंने क्या क्या ना सहा !
तेरे झमेलो में ''ज़िंदगी'' मैं, कहीं का ना रहा !!


पी के ''तनहा''

Monday 21 October 2013

तेरी यादों का क्या है .........

तेरी यादों का क्या है !
चली आती है,
कहीं भी कभी भी ...
ले जाती है मुझको, गुजरे पलों से रूबरू कराने !
और मैं भी ..
अनायास ही निकल पड़ता हूँ , साथ उनके !
जबकि जानता हूँ, की आंसुओ के सिवा कुछ ना मिलेगा !
पर फिर भी एक उम्मीद की किरण जलाये
उसी अँधेरे में निकल पड़ता हूँ !
तेरी यादों के साथ
एक अनछुआ सा एहसास होता है
की तुम भी मेरे साथ हो
की तुम भी मेरे पास हो
मगर हकीकत , कुछ और ही होती है !
और यूं ही, मुझसे खिलवाड़ कर जाती है !
मेरी रूह को, एक बार फिर से ''तनहा'' कर जाती है
तू नही ....
बस तेरी यादें ......


पी के ''तनहा''

Friday 20 September 2013

अधूरी ख्वाहिश....

आसमा से टूटता, सितारा यही पैगाम लाता है !
मैं जब भी गीत रचता हूँ, तेरा ही नाम आता है !!

कभी ये प्यार के किस्से, होते सच मुहब्बत में !
खुदा तू ही है बस मेरा, मेरी  हर इबादत में  !!

मैं जब हूँ सोचता तुझको, अजब एहसास है होता !
काश: ख्वाब ये मेरा, कभी यूँ सच हुआ होता !!

मगर मैं भूल जाता हूँ, ये सपने सच नही होते !
प्रीत और प्यार के किस्से, कभी हकीकत नही होते !!

ना जाने फिर भी ये दिल, क्यों इनको संजो बैठा !
मना लाख किया लेकिन, हठ फिर भी पकड़ बैठा !!

मैं क्या करूँ अब तो, मुहब्बत कर ली जो तुमसे !
दो मीठे बोल तुम सजनी, कभी बोलो जरा हमसे !!

मेरा ये हाल है अब जो, वजह इसकी भी तुम ही हो !
मेरी हर साँस में तुम हो, मेरी धड़कन में तुम ही हो !!

पी के ''तनहा''



Friday 16 August 2013

तू जहाँ रहे आबाद रहे, ये गुजारिश है मेरी रब से.....

मन ने एक सवाल किया कुदरत से !
क्या सबकुछ मिलता है यहाँ किस्मत से !!

कुछ लोग हाथों की लकीरे, खुद बनाते है !
तो कुछ राह ए मंजिल,में ही खो जाते है !!

सोचकर मैंने भी, एक ख्वाब संजोया !
पा तो कुछ ना सका, मगर बहुत कुछ खोया !!

उसने मेरी, खुशियों को कुछ यूँ तबाह किया !
मेरे घर का रास्ता, इस गम को बता दिया !!

गम ने मगर, साथ मेरा इस कद्र निभाया !
उसने ही इस तनहा को ''तनहा'' था बनाया !!

मेरी आँखों को दिखला कर, वो ख्वाब तूने तोडा !
जिंदगी रूठ गयी, मुझसे अश्को ने नाता जोड़ा !!

अब गिला शिकवा क्या करूँ, मेरे हमसफ़र मैं तुझसे !
तू जहाँ रहे आबाद रहे, ये गुजारिश है मेरी रब से !!

पी के ''तनहा''

Monday 3 June 2013

फिर सोचकर तुझको, तुझ ही में डूब जाता हूँ ....

तेरी यादों में, मैं जब खुलकर मुस्कुराता हूँ !

तुझसे बिछड़ कर जो लिखा,वो गीत गाता हूँ !!

यूँ सोचकर तुझको, मैंने जब भी देखा है !

फिर सोचकर तुझको, तुझ ही में डूब जाता हूँ !!

 

पी के ''तनहा''

 



Tuesday 7 May 2013

एक शाम माँ के नाम ..........

कल ख्वाबो में रब से मुलाकात हो गयी !
ऐसी घटना घटित मेरे साथ हो गयी !!

मैं कहने लगा, मेरी इबादत का कुछ यूँ फल मिले !
मेरी प्यारी सी माँ को, एक हसीं कल मिले !!

यूँ तो गमो में गुजरी है,उसकी जिंदगानी !
है तुझसे, इतनी गुज़ारिश, तू करदे मेहरबानी !!

बस रब से यही दुआ है, हो कबूल मेरी मन्नत !
हर ख़ुशी मिले माँ को, उनकी खुशियों में ही है मेरी ज़न्नत !!

पी के ''तनहा''

Friday 3 May 2013

जब कभी मैं, खुद ही में डूबकर, तुझको सोचता हूँ.....

इस लम्हा लम्हा जिंदगी में, तुम्हे जब कभी सोचता हूँ !
तब जिंदगी के हर लम्हे में, बस तुम्हे ही खोजता हूँ !!
मन में एक अजीब एहसास होता है , यूँ तुझको सोचकर !
जब कभी मैं, खुद ही में डूबकर, तुझको सोचता हूँ ....

पी के ''तनहा''

मैंने जिंदगी को, कोई ख्वाब संजोने ना दिया ..........

मैंने जिंदगी को, कोई ख्वाब संजोने ना दिया !
तेरे सिवा, इस दिल को किसी का होने ना दिया !!
जब से बिछड़े हो, तनहा तडपती है मेरी आँखें !
एक उम्र से मैंने , इनको पलके भिगोने ना दिया !!

पी के ''तन्हा''

Wednesday 24 April 2013

खुद भी रोयेंगे आज, तुम्हे भी रुलायंगे ....

आज ख्वाबो में तुमको फिरसे बुलाएँगे !
कहानी जो अधूरी है, तुमको सुनायेगे !!
मुददत हो गयी, इन आँखों से आंसू निकले !
खुद भी रोयेंगे आज, तुम्हे भी रुलायंगे !!


                                       पी के ''तनहा''

Tuesday 23 April 2013

जिसकी बारात दरवाजे से वापिस चली जाती

हाँ, जानता हूँ !
जायज है उनका नाराज होना ....आखिर बड़े जीजा जी है वो मेरे ..लेकिन उनको खुश रखने के लिए ..मैं वो सब कैसे कर सकता था जो वो चाहते थे ! की छोटी बहन की सगाई वापिस ले आऊ ! मैं अपनी चोखट पर बारात ना आने दूं !
क्या गुजरती मेरी बूढी माँ ...जिसने दर्द ही दर्द में जिंदगी को जिया है !
क्या गुजरती दिल के मरीज पिता पर ... जिसकी जिंदगी दुखो की भेंट चढ़ गयी !
क्या गुजरती उस बहन पर जिसकी बारात दरवाजे से वापिस चली जाती !
क्या गुजरती उस भाई पर ...जो सबसे छोटा था ! एकलौता था ! तमाम जिम्मेदारिया थी उसके नन्हे कंधो पर !
मैं नहीं कर सकता था वो सब ....अब रूठना है तो कोई रूठे !
मुझको फर्क नहीं पड़ता ....मैं एक शख्स की खुसी के लिए इतना सब नहीं कर सकता ....
मगर फिर भी ....एक टीस सी उभरती है मन में ...की आखिर वो बड़े जीजा है ....

पी के ''तनहा''

Saturday 13 April 2013

जब भी मुझको, खुद मुझी से प्यार होता है.......

खुद पर अक्सर, जब मुझे ऐतबार होता है !
ख्वाब में ए हमसफ़र, तेरा दीदार होता है !!
मैं सोचता रहता हूँ, हर पल- हर घडी तुझको !
जब भी मुझको, खुद मुझी से प्यार होता है !!

तेरी रहमत, तो मुझ पर यूँ, कुछ यूँ बरसती है !
मेरी सफलता का श्रेय, तू ही मेरे सरकार होता है !!

अब ये जिंदगी मेरी, हसीं कुछ यूँ है हो गयी !
''सफ़र में हमसफ़र'', तू ही मेरे यार होता है !! 

तम्मना है मेरी, इतनी की बस दीदार हो तेरा !
तम्मना हो सभी पूरी, कहाँ ये हरबार होता है !! 

पी के ''तनहा''

Friday 12 April 2013

क्या मोह्हबत में,''पी के'' ऐसा ही होता है

डूब कर तेरे एहसासों में, कुछ यूँ होता है !
हंसती रहती है आँखें, मगर दिल रोता है !!
बिछड़ कर तुझसे, ''तनहा'' मैं हो गया हूँ !
क्या मोह्हबत में,''पी के'' ऐसा ही होता है !!
पी के ''तनहा''

Monday 8 April 2013

साथ जिसके हँसे, उसने रुलाया बहुत !!............

आज वो मुसाफिर, फिर से याद आया बहुत !
मैंने जिससे, था, दिल को लगाया बहुत !!

मैंने जां-ओ-जिंदगी, कर दी नाम सब उसके !
मगर उसने, था मुझको आजमाया बहुत !!

अब मेरी वफा को कैसे, नीलाम वो करता !
हर पल था, मैंने जिसको, हंसाया बहुत !!

बिछड के उससे अब, कैसे हम जी ले !
साथ जिसके हँसे, उसने रुलाया बहुत !!

पी के ''तनहा''




Saturday 6 April 2013

एक गुनाह , जो मैं बार बार करता हूँ ..

एक गुनाह , जो मैं बार बार करता हूँ !
भूलकर अक्सर, तुझे याद करता हूँ !!
पाता हूँ, खुद को मैं  ''तनहा'' जब कभी !
रब से ''दीदार ए यार'' की फ़रियाद करता हूँ !!

पी के ''तनहा''

Friday 5 April 2013

लबो ने रोका , और ख़ामोशी ने बोल दिया ........

लबो ने रोका , और ख़ामोशी ने बोल दिया !
''राज़ ए दिल'' भरी महफ़िल में खोल दिया  !!
बहुत समझाया, मैंने, मत कुरेद दिल के ज़ख्म !
नहीं माना ये मन, ''दिल ए ज़ख्म'' कुरेद दिया !!

पी के ''तनहा''

Friday 15 March 2013

ज़ख्म कितने पुराने थे,...........

यादों के दर्मिंयाँ, कुछ अनछुए ख्वाब रह गये !
ज़ख्म कितने पुराने थे, हम फिर भी सह गये !!
और आज, खोला जो अतीत का एक पन्ना हमने !
मेरी आँखों से ये मोती, फिर अनायस ही बह गये !!

पी के ''तनहा''

Monday 4 March 2013

वो अजनबी जब भी मेरे सपनों में आया है...

वो अजनबी जब भी मेरे सपनों में आया है !
मेरी पलकों ने , एक हसीं ख्वाब सजाया है !!
और देखकर सादगी भरा , लिबास उसका !
उस शख्स पर मुझको, और प्यार आया है !!

यूं तो देखा नहीं उसने, कभी प्यार से मुझको !
मगर उसकी आँखों ने, मुझे कई बार बुलाया है !!
अब जो भी हो, नहीं डरता मैं अब जमाने से !
वो ही मेरा हमसफ़र ,वो ही मेरा हमसाया है !!

पी के ''तनहा''

जिंदगी कैसे जी जाती है ....

जिंदगी लम्हा  बनकर , अक्सर मेरे पास आती है !
कुछ अपनी कहती है,और कुछ मेरी सुनकर , मुझसे बतियाती है !!
मैं पूछ बैठता हूँ , उससे की, क्यों हो तुम ऐसी .....
 मेरे इस सवाल से , वो सोच में पड़ जाती है !!
और बहुत सोचने के बाद , मुझसे कहती है !
की आओ तुम्हे बताती हूँ , की जिंदगी कैसे जी जाती है !!
और फिर अतीत की कोठरी में ले जाकर ....
मेरे बीते पलो को याद दिलाती है !!
इन सबको क्यों भूल जाता है  इन्सान ...
ये कह कह कर मुझे रुलाती है !
तब समझ आया , की जिंदगी पल पल क्यों आजमाती है !
क्यों हंसती है हमे , और क्यों रुलाती है !!
ये तो गुरु है, जो  हमेशा जीवन का पाठ पढ़ाती है !
और यूं ही , लम्हा लम्हा जी कर ,  चली जाती है !!

अब तो क्या आपसे : पी के ''तनहा''

Friday 1 March 2013

मेरे इन शब्दों की माला, फिर ''गीत ओ ग़ज़ल'' बन जाती है...

बहारों के मौसम में , अक्सर जब याद तेरी आ जाती है !
गुजरे पलो के एहसासों में,फिर आँख मेरी भर आती है !!

तेरी वफा के किस्सों को, जब लिखता हूँ मैं पन्नो पर !
मेरे इन शब्दों की माला, फिर ''गीत ओ ग़ज़ल'' बन जाती है !!


पी के ''तनहा''

मेरे इन शब्दों की माला, फिर ''गीत ओ ग़ज़ल'' बन जाती है...

बहारों के मौसम में , अक्सर जब याद तेरी आ जाती है !
गुजरे पलो के एहसासों में,फिर आँख मेरी भर आती है !!

तेरी वफा के किस्सों को, जब लिखता हूँ मैं पन्नो पर !
मेरे इन शब्दों की माला, फिर ''गीत ओ ग़ज़ल'' बन जाती है !!


पी के ''तनहा''

मेरे इन शब्दों की माला, फिर ''गीत ओ ग़ज़ल'' बन जाती है...

बहारों के मौसम में , अक्सर जब याद तेरी आ जाती है !
गुजरे पलो के एहसासों में,फिर आँख मेरी भर आती है !!

तेरी वफा के किस्सों को, जब लिखता हूँ मैं पन्नो पर !
मेरे इन शब्दों की माला, फिर ''गीत ओ ग़ज़ल'' बन जाती है !!


पी के ''तनहा''

Thursday 28 February 2013

एक शाम बड़ी माँ के नाम ....

राष्ट्र हित में आप भी जुड़िये इस मुहीम से -
सन 1945 मे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की तथाकथित हवाई दुर्घटना या उनके जापानी सरकार के सहयोग से 1945 के बाद सोवियत रूस मे शरण लेने या बाद मे भारत मे उनके होने के बारे मे हमेशा ही सरकार की ओर से गोलमोल जवाब दिया गया है उन से जुड़ी हुई हर जानकारी को "राष्ट्र हित" का हवाला देते हुये हमेशा ही दबाया गया है ... 'मिशन नेताजी' और इस से जुड़े हुये मशहूर पत्रकार श्री अनुज धर ने काफी बार सरकार से अनुरोध किया है कि तथ्यो को सार्वजनिक किया जाये ताकि भारत की जनता भी अपने महान नेता के बारे मे जान सके पर हर बार उन को निराशा ही हाथ आई !
मेरा आप से एक अनुरोध है कि इस मुहिम का हिस्सा जरूर बनें ... भारत के नागरिक के रूप मे अपने देश के इतिहास को जानने का हक़ आपका भी है ... जानिए कैसे और क्यूँ एक महान नेता को चुपचाप गुमनामी के अंधेरे मे चला जाना पड़ा... जानिए कौन कौन था इस साजिश के पीछे ... ऐसे कौन से कारण थे जो इतनी बड़ी साजिश रची गई न केवल नेता जी के खिलाफ बल्कि भारत की जनता के भी खिलाफ ... ऐसे कौन कौन से "राष्ट्र हित" है जिन के कारण हम अपने नेता जी के बारे मे सच नहीं जान पाये आज तक ... जब कि सरकार को सत्य मालूम है ... क्यूँ तथ्यों को सार्वजनिक नहीं किया जाता ... जानिए आखिर क्या है सत्य .... अब जब अदालत ने भी एक समय सीमा देते हुये यह आदेश दिया है कि एक कमेटी द्वारा जल्द से जल्द इस की जांच करवा रिपोर्ट दी जाये तो अब देर किस लिए हो रही है ???
आप सब मित्रो से अनुरोध है कि यहाँ नीचे दिये गए लिंक पर जाएँ और इस मुहिम का हिस्सा बने और अपने मित्रो से भी अनुरोध करें कि वो भी इस जन चेतना का हिस्सा बने !
Set up a multi-disciplinary inquiry to crack Bhagwanji/Netaji mystery
यहाँ ऊपर दिये गए लिंक मे उल्लेख किए गए पेटीशन का हिन्दी अनुवाद दिया जा रहा है :-
सेवा में,
अखिलेश यादव,
माननीय मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश सरकार
प्रिय अखिलेश यादव जी,
इतिहास के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर, आप भारत के सबसे युवा मुख्यमंत्री इस स्थिति में हैं कि देश के सबसे पुराने और सबसे लंबे समय तक चल रहे राजनीतिक विवाद को व्यवस्थित करने की पहल कर सकें| इसलिए देश के युवा अब बहुत आशा से आपकी तरफ देखते हैं कि आप माननीय उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के हाल ही के निर्देश के दृश्य में, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भाग्य की इस बड़ी पहेली को सुलझाने में आगे बढ़ेंगे|
जबकि आज हर भारतीय ने नेताजी के आसपास के विवाद के बारे में सुना है, बहुत कम लोग जानते हैं कि तीन सबसे मौजूदा सिद्धांतों के संभावित हल वास्तव में उत्तर प्रदेश में केंद्रित है| संक्षेप में, नेताजी के साथ जो भी हुआ उसे समझाने के लिए हमारे सामने आज केवल तीन विकल्प हैं: या तो ताइवान में उनकी मृत्यु हो गई, या रूस या फिर फैजाबाद में | 1985 में जब एक रहस्यमय, अनदेखे संत “भगवनजी” के निधन की सूचना मिली, तब उनकी पहचान के बारे में विवाद फैजाबाद में उभर आया था, और जल्द ही पूरे देश भर की सुर्खियों में प्रमुख्यता से बन गया| यह कहा गया कि यह संत वास्तव में सुभाष चंद्र बोस थे। बाद में, जब स्थानीय पत्रकारिता ने जांच कर इस कोण को सही ठहराया, तब नेताजी की भतीजी ललिता बोस ने एक उचित जांच के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने उस संत के सामान को सुरक्षित रखने का अंतरिम आदेश दिया।
भगवनजी, जो अब गुमनामी बाबा के नाम से बेहतर जाने जाते है, एक पूर्ण वैरागी थे, जो नीमसार, अयोध्या, बस्ती और फैजाबाद में किराए के आवास पर रहते थे। वह दिन के उजाले में कभी एक कदम भी बाहर नहीं रखते थे,और अंदर भी अपने चयनित अनुयायियों के छोड़कर किसी को भी अपना चेहरा नहीं दिखाते थे। प्रारंभिक वर्षों में अधिक बोलते नहीं थे परन्तु उनकी गहरी आवाज और फर्राटेदार अंग्रेजी, बांग्ला और हिंदुस्तानी ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया, जिससे वह बचना चाहते थे। जिन लोगों ने उन्हें देखा उनका कहना है कि भगवनजी बुजुर्ग नेताजी की तरह लगते थे। वह अपने जर्मनी, जापान, लंदन में और यहां तक कि साइबेरियाई कैंप में अपने बिताए समय की बात करते थे जहां वे एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु की एक मनगढ़ंत कहानी "के बाद पहुँचे थे"। भगवनजी से मिलने वाले नियमित आगंतुकों में पूर्व क्रांतिकारी, प्रमुख नेता और आईएनए गुप्त सेवा कर्मी भी शामिल थे।
2005 में कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर स्थापित जस्टिस एम.के. मुखर्जी आयोग की जांच की रिपोर्ट में पता चला कि सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 1945 में ताइवान में नहीं हुई थी। सूचनाओं के मुताबिक वास्तव में उनके लापता होने के समय में वे सोवियत रूस की ओर बढ़ रहे थे।
31 जनवरी, 2013 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने ललिता बोस और उस घर के मालिक जहां भगवनजी फैजाबाद में रुके थे, की संयुक्त याचिका के बाद अपनी सरकार को भगवनजी की पहचान के लिए एक पैनल की नियुक्ति पर विचार करने का निर्देशन दिया।
जैसा कि यह पूरा मुद्दा राजनैतिक है और राज्य की गोपनीयता के दायरे में है, हम नहीं जानते कि गोपनीयता के प्रति जागरूक अधिकारियों द्वारा अदालत के फैसले के जवाब में कार्यवाही करने के लिए किस तरह आपको सूचित किया जाएगा। इस मामले में आपके समक्ष निर्णय किये जाने के लिए निम्नलिखित मोर्चों पर सवाल उठाया जा सकता है:
1. फैजाबाद डीएम कार्यालय में उपलब्ध 1985 पुलिस जांच रिपोर्ट के अनुसार भगवनजी नेताजी प्रतीत नहीं होते।
2. मुखर्जी आयोग की खोज के मुताबिक भगवनजी नेताजी नहीं थे।
3. भगवनजी के दातों का डीएनए नेताजी के परिवार के सदस्यों से प्राप्त डीएनए के साथ मेल नहीं खाता।
वास्तव मे, फैजाबाद एसएसपी पुलिस ने जांच में यह निष्कर्ष निकाला था, कि “जांच के बाद यह नहीं पता चला कि मृतक व्यक्ति कौन थे" जिसका सीधा अर्थ निकलता है कि पुलिस को भगवनजी की पहचान के बारे में कोई
सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भगवनजी की लिखावट और अन्य फोरेंसिक सामग्री को किसी प्रतिष्ठित अमेरिकन या ब्रिटिश प्रयोगशाला में भेजा जाये.
हमें पूरी उम्मीद है कि आप, मुख्यमंत्री और युवा नेता के तौर पर दुनिया भर में हम नेताजी के प्रसंशकों की इस इच्छा को अवश्य पूरा करेंगे |
सादर
आपका भवदीय
अनुज धर
लेखक "India's biggest cover-up"
चन्द्रचूर घोष
प्रमुख - www.subhaschandrabose.org और नेताजी के ऊपर आने वाली एक पुस्तक के लेखक

Wednesday 20 February 2013

सुनो ...सुन रहे हो ना

सुनो ...

सुन रहे हो ना ...

मेरी ख़ामोशी को ...

इस दिल की उदासी को ..

याद है मुझको आज भी ...
वो क्यामती शाम का मंजर

जिस शाम ने जुदा किया था हम दोनों को ...

इस कदर की आज तक ना मिल पाए ...

बस कसक है एक दिल में ...अधूरी कहानी को पूरा करने की ...

ना तनहा जीने की , ना तनहा मरने की ...

शायद मिल ही जायगी मंजिल ... हमारी इस अधूरी कहानी को ...

भूल ना जाना मुझे, और उन हंसी पलो की रवानी को ...

जिनके सहारे हम पहुंचे है यहाँ तक ...

मंजिल को पाने ...

हम पागल दीवाने ...

तुम्हारा : पी के ''तनहा''

Friday 15 February 2013

शायद उसने मेरे प्यार का समुन्दर नहीं देखा .........

मैंने कभी, ऐसे प्यार का मंजर नहीं देखा !
ऐसा कातिल नहीं देखा, ऐसा खंजर नहीं देखा !!
नादां है वो इतनी, बेवफा कैसे कह दूं उसको !
शायद उसने मेरे प्यार का समुन्दर नहीं देखा !!

पी के ''तनहा''

Wednesday 30 January 2013

मैं, बयां करूँ तो कैसे, उसकी सादगी के चर्चे


उसके हाथों में अब, मेरी तकदीर नजर आती है !

देखकर उसको, जिंदगी कुछ और संवर जाती है !!

मैं, बयां करूँ तो कैसे, उसकी सादगी के चर्चे !
...
सादे लिबास में , वो थोडा और निखर जाती है !!

पी के ''तनहा''