जुस्तजू नही, कि तुझको भी हो मोह्हब्त मुझसे !
मैंने हर इबादत में मगर, तुझको खुदा माना है !!
पी के ''तनहा''
मैंने हर इबादत में मगर, तुझको खुदा माना है !!
पी के ''तनहा''
यूं ही चला आ रहा हूँ कबसे जिंदगी को जीतता हारता, तलाश है मंजिल की डगर की ,तलाश है मेरे हमसफ़र की ....