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Friday 28 September 2012

ना जाने कितने गम सहता हूँ...........

सोचता हूँ ...
आज कह ही दूं ...
मगर फिर सोचता हूँ की
कैसे कहूँ ...
आज कह ही दूंगा
ये सोच कर जाता हूँ
और उनके पास आते ही सोचता ही रह जाता हूँ
अब सोचता हूँ की ...
मैं इतना क्यों सोचता हूँ ...
ये ही सोच - सोच के ...
सोचता रहता हूँ ...
ना वो मिलते  है मुझको  ..
ना मैं उनके साथ रहता हूँ ...
और उनके लिए ...
ना जाने कितने गम सहता हूँ ...
मगर फिर सोच में पड़ जाता हूँ ...
कभी वक़्त से लड़ जाता हूँ ...
कभी जिद पर अड़ जाता हूँ ..
मगर फिर सोच को वहीँ खड़े पाता हूँ
की मैं क्यों सोच रहा हूँ ........ 

Thursday 6 September 2012

ना बन पाई कोई कहानी ....

तुमको सुना रहा हूँ , एक प्यार की कहानी !
सूरत से आप जैसे, मेरे यार की कहानी !! मेरठ शहर वो आया, अरमां अपने लेकर ! अपनों को छोड़ आया,अपनों से दूर होकर !! वो शहर रोज़ आता , कुछ बनने के वास्ते ! मंजिल बहुत कड़ी थी, मुश्किल थे रास्तें !! रोज़ नई सड़क पे जाकर , करता था इंतज़ार ! उसको खबर नही थी , यूँ हो जायेगा प्यार !! एक मासूम सी लडकी, थी पास से गुजरती ! मेरे यार की निगाहें, उस पर थी अटकती !! एक दिन मुझे बुलाकर , कुछ यूँ करके बोला ! मुझे प्यार हो गया है , ये राज़ मुझसे खोला !! समझाया मैंने उसको, तुने ये क्या किया ! तू जानता है उसको , जिसको ये दिल दिया !! बोला वो की , उसका कुछ भी पता नहीं है ! नादाँ है वो इतनी , मेरी खता नहीं है !! बिन उसके अब मुझसे, जिया नही जायेगा ! देखना एक दिन, प्यार मेरा रंग लायेगा !! होकर उदास मैं बोला , सच्चा है तू दीवाना !पर सच्चे प्यार को पगले,किसने यहाँ पहचाना !! खुदा करे प्यार तेरा, तुझको यारा मिल जाये ! तेरे लिए उसके दिल में , फूल प्यार के खिल जाये !! पर किस्मत ही कुछ ऐसी थी,ना इज़हार हुआ , इकरार हुआ ! मोह्हबत में, मेरे यार का जीना भी दुश्वार हुआ !! तुम ही बताओ यारो , किसकी खता बताऊ ! इन अंजानो, दीवानों में, किसको सजा सुनाऊ!! ना दोनों मिल पाए, ना बन पाई कोई कहानी ! पलकों पर है उसका चेहरा, और आँखों में बहता पानी !!
BY : PK SHARMA