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Thursday 19 December 2019

तेरी तलाश ही वजह है मेरा "तनहा" होना

नींद आंखों में है, फिर भी चैन से ना सोना !
तेरी तलाश ही वजह है मेरा "तनहा" होना !!
पी के तनहा

ज़िन्दगी है कट रही, बस छोटी सी एक आस में

ज़िन्दगी है कट रही, बस छोटी सी एक आस में !
खूबसूरत सी एक सुनहरी सुबह की तलाश में !!
पी के तनहा

ख्वाहिशे ठिठुर सी रही है शायद

ख्वाहिशे ठिठुर सी रही है शायद !
सर्दियां जो अपने उफान पर है !!
तेरी तू जाने, क्या हालात है उधर !
इधर तो तू ही अपनी जुबान पर है !!
पी के तनहा

Wednesday 23 May 2018

यादो की नब्ज को मैंने टटोला बहुत ......

यादो की नब्ज को मैंने टटोला बहुत !
मैं कसूरवार नहीं, मैंने बोला  बहुत !!
कौन सही, कौन गलत। .....
बड़ा कठिन था तय कर पाना !!
मैंने खुद को धर्मकांटे में तोला बहुत !!

पी के तनहा 

Sunday 25 September 2016

ख्वाहिशे ......

ख्वाहिशे
कुछ बड़ी हो गयी है अब
जो देने लगी है
स्थान, खुद से पहले
मेरी जरूरतों को
अब नही आती
वक़्त - बेवक़्त
मेरी पलको पे
कोई ख्वाब लेकर
क्योंकि
मालूम है उनको
कि पलको पे
आज भी
जाने कितने ख्वाब
संजोए बैठे है
खुद के पूरा होने की
ख्वाहिश लिए
गलत कहती है
ये दुनिया
कि ख्वाब सच होते है
जबकि सच ये है
कि जो सच हो जाये
वो ख्वाब नही होते
इन बेचारे ख्वाबो को
मंजिल कहाँ मिलती है
असल ज़िन्दगी तो
आज भी
जरूरतों से ही चलती है। .......


पी के ''तनहा''