सोचता हूँ ...
आज कह ही दूं ...
मगर फिर सोचता हूँ की
कैसे कहूँ ...
आज कह ही दूंगा
ये सोच कर जाता हूँ
और उनके पास आते ही सोचता ही रह जाता हूँ
अब सोचता हूँ की ...
मैं इतना क्यों सोचता हूँ ...
ये ही सोच - सोच के ...
सोचता रहता हूँ ...
ना वो मिलते है मुझको ..
ना मैं उनके साथ रहता हूँ ...
और उनके लिए ...
ना जाने कितने गम सहता हूँ ...
मगर फिर सोच में पड़ जाता हूँ ...
कभी वक़्त से लड़ जाता हूँ ...
कभी जिद पर अड़ जाता हूँ ..
मगर फिर सोच को वहीँ खड़े पाता हूँ
की मैं क्यों सोच रहा हूँ ........
आज कह ही दूं ...
मगर फिर सोचता हूँ की
कैसे कहूँ ...
आज कह ही दूंगा
ये सोच कर जाता हूँ
और उनके पास आते ही सोचता ही रह जाता हूँ
अब सोचता हूँ की ...
मैं इतना क्यों सोचता हूँ ...
ये ही सोच - सोच के ...
सोचता रहता हूँ ...
ना वो मिलते है मुझको ..
ना मैं उनके साथ रहता हूँ ...
और उनके लिए ...
ना जाने कितने गम सहता हूँ ...
मगर फिर सोच में पड़ जाता हूँ ...
कभी वक़्त से लड़ जाता हूँ ...
कभी जिद पर अड़ जाता हूँ ..
मगर फिर सोच को वहीँ खड़े पाता हूँ
की मैं क्यों सोच रहा हूँ ........
आपके सोच को सोच-सोच कर मैं भी सोच में पड़ गई .....
ReplyDeleteइस सोच के चक्कर में आपके वे भी सोच में ना पड़ जाएँ ............ :))
दिल के सुंदर एहसास
ReplyDeleteहमेशा की तरह आपकी रचना जानदार और शानदार है।