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Monday, 21 October 2013

तेरी यादों का क्या है .........

तेरी यादों का क्या है !
चली आती है,
कहीं भी कभी भी ...
ले जाती है मुझको, गुजरे पलों से रूबरू कराने !
और मैं भी ..
अनायास ही निकल पड़ता हूँ , साथ उनके !
जबकि जानता हूँ, की आंसुओ के सिवा कुछ ना मिलेगा !
पर फिर भी एक उम्मीद की किरण जलाये
उसी अँधेरे में निकल पड़ता हूँ !
तेरी यादों के साथ
एक अनछुआ सा एहसास होता है
की तुम भी मेरे साथ हो
की तुम भी मेरे पास हो
मगर हकीकत , कुछ और ही होती है !
और यूं ही, मुझसे खिलवाड़ कर जाती है !
मेरी रूह को, एक बार फिर से ''तनहा'' कर जाती है
तू नही ....
बस तेरी यादें ......


पी के ''तनहा''

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पी के ''तनहा''