चाहा बहुत था मगर, चाहत का कोई फूल ना खिला !
अपनों में बहुत ढूंढा, मगर कोई अपना नही मिला !!
संजोने चले थे हम भी , खुशियो के चंद पल !
बदले में हमको, बस गम ही गम मिला !!
पी के ''तनहा''
अपनों में बहुत ढूंढा, मगर कोई अपना नही मिला !!
संजोने चले थे हम भी , खुशियो के चंद पल !
बदले में हमको, बस गम ही गम मिला !!
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पी के ''तनहा''