तूने बाहर से ही मुझे जाना है !
अभी अंदर से कहां पहचाना है !!
तुम कहते हो जिसे पागल !
वो पागल तुम्हारा दीवाना है !!
मेरी खुशियां तुझसे शुरू होती है !
तेरे संग, अपना घर बसाना है !!
तेरे दीद से आती है लबो पे हंसी मेरे !
संग में तेरे अब तो मुस्कुराना है !!
दुनिया कुछ भी कहे, परवाह नहीं !
ये रिवाज़ तो दुनिया का पुराना है !!
उलझने तो आती रहती है जीवन में !
पर, हमे तो सहाब दूर तक जाना है !!
ये रिश्ते, सिर्फ विश्वास मांगते है !
इसको ज़िंदगी भर हमे निभाना है !!
अभी अंदर से कहां पहचाना है !!
तुम कहते हो जिसे पागल !
वो पागल तुम्हारा दीवाना है !!
मेरी खुशियां तुझसे शुरू होती है !
तेरे संग, अपना घर बसाना है !!
तेरे दीद से आती है लबो पे हंसी मेरे !
संग में तेरे अब तो मुस्कुराना है !!
दुनिया कुछ भी कहे, परवाह नहीं !
ये रिवाज़ तो दुनिया का पुराना है !!
उलझने तो आती रहती है जीवन में !
पर, हमे तो सहाब दूर तक जाना है !!
ये रिश्ते, सिर्फ विश्वास मांगते है !
इसको ज़िंदगी भर हमे निभाना है !!
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पी के ''तनहा''