लिखना तो नहीं आता पर लिख कर देखा थोडा सा....
जिंदगी ने जिन हालात में मुझे उस मोड़ पे छोड़ा था
जहाँ मेरे बैशाखी ने भी मुझसे नाता तोडा था
ऐसे ही कई मोड़ पर मेरे सपनो ने मुझे छोड़ा था
लिखना तो नहीं आता पर लिख कर देखा थोडा सा ....
जिंदगी के फैसले में हमने ये न सोचा था
खुबसूरत ख्वाब ने हमे दिया किस तरह धोखा था
बहार से तो अति सुन्दर मगर अन्दर से वो खोखा था
लिखना तो नहीं आता पर लिख कर देखा थोडा सा ......
कर गया बर्बाद मुझको जो सपना मेने देखा था
ऐसा भी कभी होगा एक दिन न मैंने कभी ये सोचा था
की ऐसे ही एक दिन मैं हारकर भी जीता था
ये होली ही ऐसी आई है की मैं खुस हूँ बहुत
वरना गम भुलाने को मैं हर होली को पीता था
लिखना तो नहीं आता पर लिख कर देखा थोडा सा ....
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पी के ''तनहा''