तुझसे मिले एक ज़माना हुआ
मैखाने जाने का बहाना हुआ
जाम जब साकी ने पिलाया अपने हाथो से
एक मुद्दत बाद मेरा होश में आना हुआ
शीशे में देखा एक अजनबी था सामने
तेरे इश्क में कैसा मैं खुद से बेगाना हुआ
ज़िक्र फिर तेरा आया, जब चला दौर ए जाम
लूटना फिर सुरु मेरे अश्कों का खज़ाना हुआ
सोचा तेरे याद को पि जाऊं जाम में घोल कर
यादें आती रही मगर बंद मैखाना हुआ
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पी के ''तनहा''