दुआ नहीं तो गिला देता कोई ,
मेरी मेहनत का सिला देता कोई
जब मुक्कदर ही नहीं था अपना ,
देता भी तो भला क्या देता कोई
तक़दीर नहीं थी अगर आसमान छूना ,
खाक में ही मिला देता कोई
गुमान ही हो जाता किसी अपने का ,
दामन ही पकड़ कर हिला जाता कोई
अरसे से अटका है हिचकियो पे ,
अच्छा होता जो भुला देता कोई
ये तो रो रो के कट गयी जिंदगी अपनी ,
क्या होता अगर हंसा देता कोई
बहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति.
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