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Friday 28 September 2012

ना जाने कितने गम सहता हूँ...........

सोचता हूँ ...
आज कह ही दूं ...
मगर फिर सोचता हूँ की
कैसे कहूँ ...
आज कह ही दूंगा
ये सोच कर जाता हूँ
और उनके पास आते ही सोचता ही रह जाता हूँ
अब सोचता हूँ की ...
मैं इतना क्यों सोचता हूँ ...
ये ही सोच - सोच के ...
सोचता रहता हूँ ...
ना वो मिलते  है मुझको  ..
ना मैं उनके साथ रहता हूँ ...
और उनके लिए ...
ना जाने कितने गम सहता हूँ ...
मगर फिर सोच में पड़ जाता हूँ ...
कभी वक़्त से लड़ जाता हूँ ...
कभी जिद पर अड़ जाता हूँ ..
मगर फिर सोच को वहीँ खड़े पाता हूँ
की मैं क्यों सोच रहा हूँ ........ 

2 comments:

  1. आपके सोच को सोच-सोच कर मैं भी सोच में पड़ गई .....
    इस सोच के चक्कर में आपके वे भी सोच में ना पड़ जाएँ ............ :))

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  2. दिल के सुंदर एहसास
    हमेशा की तरह आपकी रचना जानदार और शानदार है।

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आपका अपना
पी के ''तनहा''