ये आँखें भी कितनी अजीब है !
हमारे दिलो के कितने करीब है !!
अनदेखे, अंजानो से प्यार करती है !
ख़ामोशी की भाषा में, इज़हार करती है !!
इन्ही से, दिलो में हलचल होती है !
एक ख़ुशी सी हरपल होती है !!
और कितनी अजीब है ये .......
की खुद ही प्यार की अलख जगाती है !
और खुद ही बैठ के रोती है !!
हमारे दिलो के कितने करीब है !!
अनदेखे, अंजानो से प्यार करती है !
ख़ामोशी की भाषा में, इज़हार करती है !!
इन्ही से, दिलो में हलचल होती है !
एक ख़ुशी सी हरपल होती है !!
और कितनी अजीब है ये .......
की खुद ही प्यार की अलख जगाती है !
और खुद ही बैठ के रोती है !!
sach may ye ankehin ajjeb hain...par hamesha apni dosti nibhati hai...chahe khushi ho ya gum
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