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Monday, 29 October 2012

आज कुछ सुनाने को जी चाहता है ......

आज कुछ सुनाने को जी चाहता है !
तुम्हे अपना बनाने को जी चाहता है !!
 
तेरी यादों में लिखे, जो गीत ''ओ'' ग़ज़ल !
आज उन्हें गुनगुनाने को जी चाहता है !!
 
मैं, मेरी तन्हाई से , ''तनहा'' सा हो गया !  
मुझे करना था कुछ, मुझसे  क्या हो गया !!
 
एक अरसे से थी , बेरंग मेरी दुनिया !
आज महफ़िल सजाने को जी चाहता है !!
 
तेरी यादों में लिखे, जो गीत ''ओ'' ग़ज़ल !
आज उन्हें गुनगुनाने को जी चाहता है !!
 
                                    
                                     पी के ''तनहा''
 
 
 
  

1 comment:

  1. बहुत ही बढियाँ गजल...
    सुन्दर ...
    अति सुन्दर...
    :-)

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पी के ''तनहा''