आज कुछ सुनाने को जी चाहता है !
तुम्हे अपना बनाने को जी चाहता है !!
तेरी यादों में लिखे, जो गीत ''ओ'' ग़ज़ल !
आज उन्हें गुनगुनाने को जी चाहता है !!
मैं, मेरी तन्हाई से , ''तनहा'' सा हो गया !
मुझे करना था कुछ, मुझसे क्या हो गया !!
एक अरसे से थी , बेरंग मेरी दुनिया !
आज महफ़िल सजाने को जी चाहता है !!
तेरी यादों में लिखे, जो गीत ''ओ'' ग़ज़ल !
आज उन्हें गुनगुनाने को जी चाहता है !!
पी के ''तनहा''
बहुत ही बढियाँ गजल...
ReplyDeleteसुन्दर ...
अति सुन्दर...
:-)