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Wednesday, 20 February 2013

सुनो ...सुन रहे हो ना

सुनो ...

सुन रहे हो ना ...

मेरी ख़ामोशी को ...

इस दिल की उदासी को ..

याद है मुझको आज भी ...
वो क्यामती शाम का मंजर

जिस शाम ने जुदा किया था हम दोनों को ...

इस कदर की आज तक ना मिल पाए ...

बस कसक है एक दिल में ...अधूरी कहानी को पूरा करने की ...

ना तनहा जीने की , ना तनहा मरने की ...

शायद मिल ही जायगी मंजिल ... हमारी इस अधूरी कहानी को ...

भूल ना जाना मुझे, और उन हंसी पलो की रवानी को ...

जिनके सहारे हम पहुंचे है यहाँ तक ...

मंजिल को पाने ...

हम पागल दीवाने ...

तुम्हारा : पी के ''तनहा''

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पी के ''तनहा''