कविता ! अपने अंतर की चेतना और अनुभूति की अभिव्यक्ति भर है कविता |
दिन में रात में, ख़ुशी में गम में, आशा में निराशा में, हार में जीत में, प्रीत में रीत में, जय में पराजय में, यश में अपयश में, वैभव में पराभव में, अपमान में सम्मान में, ख़ामोशी में जुनून में, बेचैनी में सुकून में, उम्मीद में ना उम्मीदी में, अपेक्षा में उपेक्षा में, होने में ना होने में, पाने में खो देने में, उदासी में उपहासी में |
ह्रदय में भावनाएँ किसी भी अवस्था में पनपती है | समय के किसी भी क्षण ह्रदय में उठता भावनाओं का ज्वार जब कागज पर आकर ठहर जाता है तो कविता बन जाती है |
पी के ''तनहा''
दिन में रात में, ख़ुशी में गम में, आशा में निराशा में, हार में जीत में, प्रीत में रीत में, जय में पराजय में, यश में अपयश में, वैभव में पराभव में, अपमान में सम्मान में, ख़ामोशी में जुनून में, बेचैनी में सुकून में, उम्मीद में ना उम्मीदी में, अपेक्षा में उपेक्षा में, होने में ना होने में, पाने में खो देने में, उदासी में उपहासी में |
ह्रदय में भावनाएँ किसी भी अवस्था में पनपती है | समय के किसी भी क्षण ह्रदय में उठता भावनाओं का ज्वार जब कागज पर आकर ठहर जाता है तो कविता बन जाती है |
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