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Saturday, 23 July 2016

कब क्या हुआ कुछ पता नही.....

अरे बदला नही हूँ मैं, मगर !
हाँ, बदल गयी कुछ बात !!
कुछ वक़्त भी बदला बदला है !
बदले बदले कुछ हालात !!
जीवन की आपाधापी में !
कब क्या हुआ कुछ पता नही !!
कब सुबह सुहानी ढल गई !
कब ढल गयी बैरन रात !!
आजमाया किसी ने हर कदम !
कोई भरता मेरे दम में दम !!
यूँ तो सब सुख के साथी थे !
कुछ थे जो देते दुःख में साथ !!

1 comment:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " डिग्री का अटेस्टेशन - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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पी के ''तनहा''