यूं ही चला आ रहा हूँ कबसे जिंदगी को जीतता हारता, तलाश है मंजिल की डगर की ,तलाश है मेरे हमसफ़र की ....
Friday, 30 December 2011
Tuesday, 20 December 2011
कुछ मजबुरिया थी वक़्त की ,और कुछ मैं मजबूर था
दिल जिसके लिए कबसे बेकरार था !
खवाबो में भी अब उन्ही का इंतजार था !!
कुछ नींद थी इन आँखों में , सोचा चलो सोया जाये !
पलके बंद ही की थी , और ख्वाबो में वो चले आये !!
मुझे यकीं नही था ,ख्वाबो में ही सही वो सामने है !
खुश था मैं इस तरह ,जैसे भक्त को दर्शन दिए भगवान ने है !!
कहने लगे वो, क्यों मुझसे इतना प्यार किया तुमने !
गर मुझसे थी मोहब्बत ,क्यों नही इज़हार किया तुमने !!
दिल में तो बहुत कुछ था , बस इतना ही कह पाया !
बस तेरे दीदार को तरसते है , मैं और मेरा साया !!
यूँ तो प्यार का तेरे मुझ पर ,चढ़ा सुरूर था !
कुछ मजबुरिया थी वक़्त की ,और कुछ मैं मजबूर था !!
हर मुस्किल में ,तुने क्यों इतना साथ दिया मेरा !
शब्द नहीं है कहने को ,चुकाऊ कैसे एहसान तेरा !!
दोनों ही की आँखों से अश्क जब बहने लगे !
पोछ कर आंसू मेरे ,इस कद्र कहने लगे !!
सुख - दुःख में दोनों , हमसफ़र बन साथ चलेंगे !
डगर एक होगी , देखेगा ये ज़माना ,हाथो में लेकर हाथ चलेंगे !!
और फिर ख्वाबो की दुनिया में ऐसा तूफा आया !
सुबह हो गयी है ,कहकर किसी ने मुझे जगाया !!
दोस्तों ये कविता नहीं थी , सच्ची थी ये कहानी !
लिखते लिखते जिसको , आँखों में आ गया पानी !!
Thursday, 15 December 2011
हारा नहीं था मैं , था आज कुछ थका हुआ...
हारा नहीं था मैं , था आज कुछ थका हुआ
जिंदगी में मेरी, आज कुछ ऐसा हुआ ....
की इस कद्र चल रहा था , मंजिल ए डगर पर
फिरता है , जैसे कोई प्यार का मारा हुआ ..
जीत कर भी मुझे लग रहा था ऐसा
जीत कर भी जैसे कोई इन्सां हो हारा हुआ
मगर .......
हारा नहीं था मैं , था आज कुछ थका हुआ...
प्यार की मंजिल को , आखिर पा ही लिया मैंने
अंजाम को देखा तो सोचा , ये क्या किया मैंने
वर्षो की तम्मना , पूरी हुई थी मेरी ......
सपना पूरा हुआ ,जैसे कोई रुका हुआ ...
हारा नहीं था मैं , था आज कुछ थका हुआ...
Tuesday, 13 December 2011
दिल का दरिया बहता जाये ........
एक दर्द सा मानो सहता जाये ...
देख कर उनको एक पल ही बस
इसको यूँ ही चैन आ जाये
सुने या ना सुने कोई इसकी
एक कहानी मानो कहता जाये
दिल का दरिया बहता जाये
एक दर्द सा मानो सहता जाये
ये हर कोई कहता है
दिल में किसी के तू रहता है
कोई हँसे है , पल पल यूँ ही
कोई रोकर भी ना रो पाए
दिल का दरिया बहता जाये
एक दर्द सा मानो सहता जाये
सबकी कोई कहानी होती है
ये बात ए जवानी होती है
टूट क्र इतना चाहो किसी को
की प्यार को भी प्यार हो जाये
दिल का दरिया बहता जाये
एक दर्द सा मानो सहता जाये
Friday, 9 December 2011
यूँ तो कहने को .... साथ है मेरे सारा जमाना...

साथ है मेरे सारा जमाना
मगर चाहता हूँ मैं .....
जिंदगी में कुछ कर दिखाना
अब देखना है की .....
चमकू सितारों की तरह
या बन के रह जाऊ ....
वक़्त का इक फ़साना
यूँ तो कहने को ....
साथ है मेरे सारा जमाना
लेकिन ये बाते है नसीब की
क्या सुनोगे कहानी इस गरीब की
पल पल जिसको वक़्त ने मारा
किसी ने दिया ना कोई सहारा
जिंदगी क्या है तब मैंने जाना
यूँ तो कहने को ....
साथ है मेरे सारा जमाना
Thursday, 8 December 2011
जिंदगी जब भी मायूस होती है ....
ये तब ही महसूस होती है ......
छुपा न पाओगे मुझसे तुम
अपनी आँखों का समुंदर
आँखें तो रोती ही है तुम्हारी
कभी कभी मुस्कान भी रोती है
जिंदगी जब भी मायूस होती है
ये तब ही महसूस होती है .......
काश छंट जाते वो अंधेरो के साये
तुम्हारी मुस्कान फिर से लौट आये
ये अश्क भी अब अश्क नहीं रहे
लोग कहने लगे इन्हें अब मोती है
जिंदगी जब भी मायूस होती है
ये तब ही महसूस होती है ......
मुझको दर्द देने का ......
उसका अलग अंदाज़ था
मगर दुःख दर्द में मेरे वो
अब भी महफूज़ होती है
जिंदगी जब भी मायूस होती है
ये तब ही महसूस होती है.......
Wednesday, 7 December 2011
आज हंसा कुछ यूं खुलकर .....
जिंदगी को जिया है यूं ही
छोटी सी आशा बुनकर
याद आज कुछ ऐसा आया
आज हंसा कुछ यूं खुलकर
Friday, 2 December 2011
मैं क्या करू अब मुझसे, ये दर्द सहा नहीं जाता.......

ये दर्द सहा नहीं जाता ..........
दो पल गुजरे उसकी बाहों में
काश की ऐसा हो पाता
मैं क्या करू अब मुझसे
ये दर्द सहा नहीं जाता ..........
तनहा तनहा वो यादों में रहता है
अच्छा होता , दीदार जो उसका हो जाता
मैं क्या करू अब मुझसे
ये दर्द सहा नहीं जाता .............
समझ जो पाती तुम मुझको
तो प्यार तुम्हे भी हो जाता
मैं क्या करू अब मुझसे
ये दर्द सहा नहीं जाता .........
अब इस रुसवाई का मैं क्या करू
अच्छा होता , मुझको भी साथ तू अपने ले जाता
मैं क्या करू अब मुझसे
ये दर्द सहा नहीं जाता........
Wednesday, 30 November 2011
एक बात तुम्हे बतलाना था , बस थोडा प्यार जताना था ..
एक बात तुम्हे बतलाना था ,
एक बात तुम्हे बतलाना था ,
बस थोडा प्यार जताना था
एक रोज़ जो देखा था तुमको
बस तुमसे प्यार हुआ हमको
ये जां भी कर दी नाम तेरे
तुझको भी प्यार निभाना था
एक बात तुम्हे बतलाना था ,
बस थोडा प्यार जताना था
जब प्यार की वो अरदास हुई
उस रोज़ जो वो बरसात हुई
तुम झूम उठी उस बरखा में
तुम्हे हमको भी बुलाना था
एक बात तुम्हे बतलाना था ,
बस थोडा प्यार जताना था
फिर तुमको हमसे प्यार हुआ
जब दोनों का इकरार हुआ
जब दोनों की फिर आँख मिली
पर तुमको तो शर्माना था
एक बात तुम्हे बतलाना था ,
बस थोडा प्यार जताना था
फिर क्या अचानक ऐसा हुआ
मैं सोच रहा , ये कैसे हुआ
क्यों उन्होंने , हमसे मुह मोड़ा
क्यों किया वो हमसे बहाना था
एक बात तुम्हे बतलाना था ,
बस थोडा प्यार जताना था
फिर तुम कुछ कुछ मजबूर हुए
तुम धीरे धीरे दूर हुए.........
क्या हुई थी , हमसे खता
तुम्हे हमको , समझाना था
बस थोडा प्यार जताना था
Monday, 28 November 2011
जिंदगी को महसूस कर रहा था मैं......
जिंदगी को महसूस कर रहा था मैं
जिस पल तू मेरे पास थी ....
यू तो तूफा आते गये जिंदगी में मेरी
पर फिर भी जीने की एक आस थी !
बीच मझधार में छोड़ा था मेरी कश्ती को
तुमसे नहीं थी उम्मीद , ,,,,,,,
उजड़ा ही छोड़ गये मेरी बस्ती को
मौत नहीं आई थी तब तक ,
बाकि अभी कुछ साँस थी ....
जिंदगी को महसूस कर रहा था मैं
जिस पल तू मेरे पास थी ....
यू तो तूफा आते गये जिंदगी में मेरी
पर फिर भी जीने की एक आस थी !
जिंदगी मेरी वीरान हो गयी
मुझको जिंदा देख तू हैरान हो गयी
मैं तुझसे वफा निभाता गया उम्र भर
और तू बेवफा सरेआम हो गयी
देखि थी उस रोज़ जो तुने वो लाशे
वो मेरी नहीं मेरे साये की लाश थी
जिंदगी को महसूस कर रहा था मैं
जिस पल तू मेरे पास थी ....
यू तो तूफा आते गये जिंदगी में मेरी
पर फिर भी जीने की एक आस थी !
Saturday, 26 November 2011
तेरे साथ दो पल जिंदगी, बिताने का अरमान था .......
तेरे साथ दो पल जिंदगी
बिताने का अरमान था ,,
मैंने तुझको समझा था अपना
देखा था तेरे साथ एक सपना
वो सपना मेरा टूट गया
साथ भी तेरा छुट गया
जिंदगी भर मैं तुझ पर करता रहा ऐतबार
लुटाता रहा तुझ पर बस प्यार ही प्यार
बदनाम हुआ मैं इस तेरे शहर में
एक तुने मुझे ना समझा यार
एक बार जो तुने समझा होता
जो हुआ आज , वो ना होता
कोई लाश पे मेरी ना रोता
और इतनी कम उम्र में ये हादसा
मेरे साथ ना हुआ होता
अब हुआ जो, मेरे यार हुआ
नीलाम जो मेरा प्यार हुआ
कसम है तुझको , मत रोना
इन आँखों को अश्को से ना धोना
अब बताना चाहूँगा ,जो हुआ मेरा सम्मान था
तेरे शहर में जो हुआ मेरा अपमान था ,
दो पल साथ गर तेरा मिल जाता
यही मेरे जीने का फरमान था
तेरे साथ दो पल जिंदगी
बिताने का अरमान था
तेरे साथ दो पल जिंदगी, बिताने का अरमान था .......
तेरे साथ दो पल जिंदगी
बिताने का अरमान था ,,
मैंने तुझको समझा था अपना
देखा था तेरे साथ एक सपना
वो सपना मेरा टूट गया
साथ भी तेरा छुट गया
जिंदगी भर मैं तुझ पर करता रहा ऐतबार
लुटाता रहा तुझ पर बस प्यार ही प्यार
बदनाम हुआ मैं इस तेरे शहर में
एक तुने मुझे ना समझा यार
एक बार जो तुने समझा होता
जो हुआ आज , वो ना होता
कोई लाश पे मेरी ना रोता
और इतनी कम उम्र में ये हादसा
मेरे साथ ना हुआ होता
अब हुआ जो, मेरे यार हुआ
नीलाम जो मेरा प्यार हुआ
कसम है तुझको , मत रोना
इन आँखों को अश्को से ना धोना
अब बताना चाहूँगा ,जो हुआ मेरा सम्मान था
तेरे शहर में जो हुआ मेरा अपमान था ,
दो पल साथ गर तेरा मिल जाता
यही मेरे जीने का फरमान था
तेरे साथ दो पल जिंदगी
बिताने का अरमान था
Thursday, 24 November 2011
एक बार बता जा मेरे सनम, मैं इन अश्को को नाम क्या दूं ..

मैं इन अश्को को नाम क्या दूं
भरी महफ़िल में बदनाम हुआ
अब इन हाथों में जाम क्या दूं
एक बार बता जा मेरे सनम
मैं इन अश्को को नाम क्या दूं
मेरी जिंदगी की सुबह ही नहीं
फिर तुझको हंसी शाम क्या दूं
एक बार बता जा मेरे सनम
मैं इन अश्को को नाम क्या दूं
जिया हूँ अब तक तेरी खातिर
अब जाते जाते सलाम क्या दूं
एक बार बता जा मेरे सनम
मैं इन अश्को को नाम क्या दूं
पल पल रोती मेरी आँखें .....
अब इस चेहरे पे मुस्कान क्या दूं
एक बार बता जा मेरे सनम
मैं इन अश्को को नाम क्या दूं
Tuesday, 22 November 2011
प्यार ना करना इस दुनिया में , प्यार बड़ा दुखदायी है ....
प्यार ना करना इस दुनिया में ,
प्यार बड़ा दुखदायी है
जीससे हमने प्यार किया था
वो बड़ा हरजाई है
प्यार ना करना इस दुनिया में ,
प्यार बड़ा दुखदायी है
इस नईया में जो भी नहाया
आँखों ने जब अश्क बहाया
तब तब डूबा , हर कोई इसमें
जिसने इस गंगा में दुबकी लगायी है
प्यार ना करना इस दुनिया में ,
प्यार बड़ा दुखदायी है
तुम्हारी तो तुम ही जानो
हम तो अपनी कहते है
प्यार नहीं करते है किसी से
ना किसी के दिल में रहते है
सुब कुछ लुटा दो इसके पीछे
तब भी प्रीत परायी है
प्यार ना करना इस दुनिया में ,
प्यार बड़ा दुखदायी है
Monday, 21 November 2011
बहुत दिन बीत गये , दीदार नहीं हुआ तुम्हारा

भूलने वाले ये तो बताजा , कैसा है हाल तुम्हारा
तुने सोचा , तेरे बिन जी पाएंगे हम
एक पल बिछड़े , तो मर जायेंगे हम
चले गये मुझको ठोकर लगाकर
एक तुम ही तो थे मेरा सहारा
बहुत दिन बीत गये , दीदार नहीं हुआ तुम्हारा
भूलने वाले ये तो बताजा , कैसा है हाल तुम्हारा
पुरे दिन हम , तेरी खातिर उस चोराहे पर रहते थे
कहना तो बहुत कुछ था , पर कह कुछ नहीं पाते थे
जाने वाले लेते जाना , आखिरी है ये सलाम हमारा
बहुत दिन बीत गये , दीदार नहीं हुआ तुम्हारा
भूलने वाले ये तो बताजा , कैसा है हाल तुम्हारा
Saturday, 12 November 2011
आज वो हमको छोड़ गये ..........
जिसके लिए सबको छोड़ा
आज वो हमको छोड़ गये
हमने की वफा उम्रभर
वो दिल हमारा तोड़ गये
माना कसूर हमारा था
पर इतना तो बतलाना था
बीच मझधार में मेरी
कसती को डूबता छोड़ गये
कितनी हसी थी जिंदगी मेरी
तू ही तो थी जिंदगी मेरी
क्यों मेरी जिंदगी को
अन्जान डगर पर मोड़ गये
जिसके लिए सबको छोड़ा
आज वो हमको छोड़ गये
हमने की वफा उम्रभर
वो दिल हमारा तोड़ गये
Saturday, 5 November 2011
मरता हूँ मैं पल पल
कर बैठा तुमसे प्यार
मगर तुमको इससे क्या
तेरे प्यार मैं हम हुए बदनाम
मगर तुमको इससे क्या
लुट गया , मैं सहर ओ शाम,
मगर तुमको इससे क्या
दुनिया से जा रहा हूँ, तेरी खातिर
मगर तुमको इससे क्या
तेरे प्यार की है ये सजा
रहेगी उम्र भर , तेरी इल्त्जां
मालुम है मुझे तेरा इनकार
पर करता रहूँगा,फिर भी प्यार
मगर तुमको इससे क्या
Wednesday, 2 November 2011
मरती है जब इंसानियत ......
मिलता हूँ मैं जब तुमसे
एक अजीब एहसास होता है
कुछ कह नहीं पाता हूँ
जब तू पास होता है
यूं तो मिलते है हजारो रोज़
मगर कोई एक उनमे खास होता है
यूं तो मरता है इंसान लाखो बार जिंदगी में
पर मरती है जब इंसानियत
तो वो एक जिंदा लाश होता है
रिशते वोही रंग लाते है
जिनमे एक विश्वास होता है
मिलता हूँ जब मैं तुमसे
एक अजीब एहसास होता है
Tuesday, 1 November 2011
तुम पर कुछ लिखने की खातिर ........
तुम पर कुछ लिखने की खातिर
जब जब मैंने कलम उठाई
आई याद तुम्हारी मुझको
और आँख भी मेरी भर आई
मैंने तुमको कितना चाहा
और पल पल मैंने वफा निभाई
तुम पर कुछ लिखने की खातिर
जब जब मैंने कलम उठाई
सोचा तू मुझको समझेगी
किस्मत मेरी भी चमकेगी
पर तुने मुझको न पहचाना
भरी महफ़िल में की रुसवाई
तुम पर कुछ लिखने की खातिर
जब जब मैंने कलम उठाई
तेरे लिए सपने भी टूटे
तेरे लिए अपने भी छूटे
सोचा था बजेगी एक दिन
मेरे घर भी सहनाई
तुम पर कुछ लिखने की खातिर
जब जब मैंने कलम उठाई
दुनिया से मैं जाऊंगा जिसदिन
पल पल याद आऊंगा उस दिन
हर पल तेरे साथ रहेगी
बस मेरी ही परछाई
तुम पर कुछ लिखने की खातिर
जब जब मैंने कलम उठाई
Monday, 31 October 2011
जब जब मैंने कलम उठाई .....

जब जब मैंने कलम उठाई
आई याद तुम्हारी मुझको
और आँख भी मेरी भर आई
मैंने तुमको कितना चाहा
और पल पल मैंने वफा निभाई
तुम पर कुछ लिखने की खातिर
जब जब मैंने कलम उठाई
सोचा तू मुझको समझेगी
किस्मत मेरी भी चमकेगी
पर तुने मुझको न पहचाना
भरी महफ़िल में की रुसवाई
तुम पर कुछ लिखने की खातिर
जब जब मैंने कलम उठाई
तेरे लिए सपने भी टूटे
तेरे लिए अपने भी छूटे
सोचा था बजेगी एक दिन
मेरे घर भी सहनाई
तुम पर कुछ लिखने की खातिर
जब जब मैंने कलम उठाई
दुनिया से मैं जाऊंगा जिसदिन
पल पल याद आऊंगा उस दिन
हर पल तेरे साथ रहेगी
बस मेरी ही परछाई
तुम पर कुछ लिखने की खातिर
जब जब मैंने कलम उठाई
Sunday, 30 October 2011
जिंदगी आज कुछ फीकी सी है ........
जिंदगी आज कुछ फीकी सी है
आज किस्मत कुछ रूठी सी हैमाना सारा कसूर मेरा ही है,,,
फिर वो क्यों इतनी दुखी सी है
वो , जिसने सबकुछ लुटा दिया
वक़्त ने भी उसको पल पल दगा दिया
वो जो कभी हंसती थी , मुझे देखकर
वो भी आज कुछ टूटी सी है ,,,,,
और आज जब, चाहने लगा हूँ उसको
पूरी जिंदगी गम दिए हैं जिसको
पंछियों ने भी चेहचाहना छोड़ दिया था
और वर्षो बाद कोयल आज कूकी सी है
Saturday, 15 October 2011
ये शर्मा जी भी जाने क्या क्या लिख जाते है ....

की जिंदगी में ऐसे पल भी आते है
हमारे अपने ही हमें रुलाते है
कभी लहरें ही डूबा देती है कश्ती को
तो कभी तूफ़ान भी साहिल बन जाते है ,
कभी हँसाता था मैं लोगो को
और आज मेरे ही सामने ,
लोग मुझपर हंस जाते है,,,
हालाँकि ये मुमकिन नहीं
इस ज़माने के दौर में
मगर गर तुम चाहो तो
कभी कभी सपने भी सच हो जाते है
जब मैं लिखता हूँ ....
कोई कुछ नहीं कहता
पर लिखने के बाद ,कहते है
की ये शर्मा जी भी जाने क्या क्या लिख जाते है
Friday, 14 October 2011
अपने को कहते है दीवाना ..............
एक लड़के ने किया जब लड़की से
प्रेम का अपने इज़हार
लड़की ने भी कर दिया
बेचारे को इंकार
इस गम में लड़का बन गया शराबी
और बोला लड़की से , बता
मुझमे क्या है खराबी
माना तुम मुझसे प्यार नहीं करती हो
पर देखा है मैंने अक्सर
तुम चुपके से मुझको देखा करती हो
एक बार स्वीक्रति दे दो
पूरी दुनिया से लड़ जाऊंगा
मर भी गया तो क्या गम होगा
अपना प्यार अमर कर जाऊंगा
लड़की बोली देखे है , मैंने
ऐसे कई दिलवाले ....
अपने को कहते है दीवाना
पर होते है , पीने वाले
माना आज के युग में
हर इंसा पीता है
आये अनेक , तुम उनमे एक
जिसने इस दिल को जीता है
हाँ ,,,, ये सच है प्यार है तुमसे
लब खामोश थे मेरे जब से
ईश्वर ने मेरी इस ख़ामोशी को तोडा है
और तुमको बनाकर हमसफ़र मेरा
तुमसे नाता जोड़ा है ....
Tuesday, 11 October 2011
तुमने ये ऐलान सरेआम कर दिया......
तुमने ये ऐलान सरेआम कर दिया
जज्बात को मेरे नीलाम कर दिया
वो भी दिन थे , कभी मैकदे में
हमारी शामे रंगीन हुआ करती थी
झलकाया करती थी तुम जाम दर जाम
फिर खाली आज क्यों ये जाम कर दिया
तुमने ये ऐलान सरेआम कर दिया
जज्बात को मेरे नीलाम कर दिया
याद है मुझको आज भी ,वो
काली सुबह, वो भयानक तूफ़ान
मगर वो भी इस पी के को हरा नही पाया
मगर तुमने आज मेरा काम तमाम कर दिया
तुमने ये ऐलान सरेआम कर दिया
जज्बात को मेरे नीलाम कर दिया
मैं ऐसा था नहीं पहले , मुझे तुमने है बदला
नहीं सोचा था मैंने , होगा ये भी कभी
नहीं लिखा मैंने ता-उम्र कुछ भी ,
मगर आज तुमने लिखने का मेरे इंतजाम कर दिया
तुमने ये ऐलान सरेआम कर दिया
जज्बात को मेरे नीलाम कर दिया
तुमने ये ऐलान सरेआम कर दिया, जज्बात को मेरे नीलाम कर दिया
तुमने ये ऐलान सरेआम कर दिया
जज्बात को मेरे नीलाम कर दिया
वो भी दिन थे , कभी मैकदे में
हमारी शामे रंगीन हुआ करती थी
झलकाया करती थी तुम जाम दर जाम
फिर खाली आज क्यों ये जाम कर दिया
तुमने ये ऐलान सरेआम कर दिया
जज्बात को मेरे नीलाम कर दिया
याद है मुझको आज भी ,वो
काली सुबह, वो भयानक तूफ़ान
मगर वो भी इस पी के को हरा नही पाया
मगर तुमने आज मेरा काम तमाम कर दिया
तुमने ये ऐलान सरेआम कर दिया
जज्बात को मेरे नीलाम कर दिया
मैं ऐसा था नहीं पहले , मुझे तुमने है बदला
नहीं सोचा था मैंने , होगा ये भी कभी
नहीं लिखा मैंने ता-उम्र कुछ भी ,
मगर आज तुमने लिखने का मेरे इंतजाम कर दिया
तुमने ये ऐलान सरेआम कर दिया
जज्बात को मेरे नीलाम कर दिया
Saturday, 1 October 2011
मिट चली उनकी सब निशानी ..

बनकर फिर ,आज एक कहानी
उनको इतना प्यार किया था
उसने भी बड़ा प्यार दिया था
आज याद उनको करते करते
आँखों में जब आ गया पानी
मिट चली उनकी सब निशानी
बनकर फिर ,आज एक कहानी
इस दुनिया में जैसा सुना था
हमने भी इक सपना बुना था
सब कुछ लुटा बैठे है .......
आई ऐसे वक़्त ए रवानी
मिट चली उनकी सब निशानी
बनकर फिर ,आज एक कहानी
अब जी कर हम क्या करेंगे
सोचा अब हम भी मरेंगे
दे दिया घर भार भी दान
दुनिया वाले कहने लगे दानी
मिट चली उनकी सब निशानी
बनकर फिर ,आज एक कहानी
Thursday, 29 September 2011
कभी हंसती है ये आँखें , तो कभी भर आती है

उनकी याद आती है
हँसते हुए भी हो तो भी
ये आँखें भर आती है
हमने कई बार कहा है उनसे
की हमे यूँ ना सताया करो
पर पता नही उन्हें क्या मजा आता है
जो हमको इतना सताती है
सता हमको कितना भी ले वो
लेकिन गर ये सुनले
की यादो में उनकी हमने
खाना नहीं खाया है
तो वो जब तक हमको न खिला ले
वो खुद भी नहीं खाती है
वो प्यार से डांट कर हमको
अपने हाथों से खाना खिलाती है
और आँखों में आँखें ऐसे मिलती है
कभी हंसती है ये आँखें , तो कभी भर आती है
Tuesday, 27 September 2011
कभी मेरी ख़ामोशी को सुनना ....

कभी मेरी ख़ामोशी को सुनना
ये जो ख्वाब है शीशे की तरह होते है
मेरी तरह कभी , सपने ना बुनना
सपने भी टूट जाते है ,अपने भी रूठ जाते है
मेरी तरह कोई हमसफ़र मत चुनना
ये देते है आवाज़ बड़ी मासूमियत से
और लुटते है तुम्हे और तुम्हारे जज्बात को
थी मेरी जिंदगी भी एक खुशरंग कहानी
और अब बचा है ,तो सिर्फ एक आँखों में पानी
रोकेंगे तुम्हे ,बहुत तररकी के रास्ते पे जाने से
कोई देगा कसम , तो बुलाएगा कोई बहाने से
मगर ,गर बढ़ना है आगे ,तो बातो में ना लुभना
कोई अपना भी बुलाये तुम्हे , मगर ना रुकना
मेरी जिंदगी एक ख़ामोशी है
कभी मेरी ख़ामोशी को सुनना
Saturday, 24 September 2011
यूं उदासी देखकर चेहरे पर तेरे आँखों में अश्क भर आये मेरे ..
यूं उदासी देखकर चेहरे पर तेरे
याद करता हूँ आज भी वो पल
जो बिताये थे,मैंने तेरे साथ
याद है मुझको आज भी वो शाम
जब होती थी हमारी मुलाकात
रोते हुए भी , हंस देता हूँ
आते है याद जब , तेरी बाहों के घेरे
यूं उदासी देखकर चेहरे पर तेरे
आँखों में अश्क भर आये मेरे
यूं तो लिखता हूँ , हर सह मैं तुझे
मगर याद मैं तेरी लिखी वो पहली नज्म
और हुए थे जुदा जब हम दोनों
हुई थी आँखें दोनों की नम
खेलते थे बचपन मैं , हम दोनों
याद है मुझको वो तम्बू , वो डेरे
यूं उदासी देखकर चेहरे पर तेरे
आँखों में अश्क भर आये मेरे
यूं उदासी देखकर चेहरे पर तेरे आँखों में अश्क भर आये मेरे .
यूं उदासी देखकर चेहरे पर तेरे
आँखों में अश्क भर आये मेरे
याद करता हूँ आज भी वो पल
जो बिताये थे,मैंने तेरे साथ
याद है मुझको आज भी वो शाम
जब होती थी हमारी मुलाकात
रोते हुए भी , हंस देता हूँ
आते है याद जब , तेरी बाहों के घेरे
यूं उदासी देखकर चेहरे पर तेरे
आँखों में अश्क भर आये मेरे
यूं तो लिखता हूँ , हर सह मैं तुझे
मगर याद मैं तेरी लिखी वो पहली नज्म
और हुए थे जुदा जब हम दोनों
हुई थी आँखें दोनों की नम
खेलते थे बचपन मैं , हम दोनों
याद है मुझको वो तम्बू , वो डेरे
यूं उदासी देखकर चेहरे पर तेरे
आँखों में अश्क भर आये मेरे
Tuesday, 20 September 2011
मेरे मन की हसरत थी........ तेरी आँखों में बस जाने की

तेरी आँखों में बस जाने की
एक तेरे दीदार की खातिर
क्या क्या नहीं किया मैंने
उस सुंदर सी मुस्कान पर तेरी
आदत हो गयी मुझे भी शर्माने की
मेरे मन की हसरत थी
तेरी आँखों में बस जाने की
नींद नहीं आती थी मुझको
देख न लू जब तक तुझको
कट गयी जिंदगी इंतज़ार में तेरे
पर अभी आशा है तेरे आने की
मेरे मन की हसरत थी
तेरी आँखों में बस जाने की
तुम प्यार करो या ना भी करो
मुझको इसका गिला नही
बस एक बार आकर ,पूरी करदो
तम्मना इस दीवाने की
मेरे मन की हसरत थी
तेरी आँखों में बस जाने की
बिन तेरे बेरंग है महफ़िल
आकर करदो इसको झिलमिल
शंमा बनकर जला जाओ
इस परवाने को आदत है जल जाने की
मेरे मन की हसरत थी
तेरी आँखों में बस जाने की
Monday, 19 September 2011
देखा है मैंने , मिटते हुए अपनी हस्ती को

मिटते हुए अपनी हस्ती को
वो कुछ दरिन्दे थे , शायद
जिन्होंने मिटाया मेरी हस्ती को
नहीं मालुम मुझे क्या थी मेरी खता
इतनी बड़ी दी जो उन्होंने मुझको सजा
वो जो आशियाना था मेरा
कर दिया आग के हवाले
मेरे ही सामने जला दिया मेरी बस्ती को .
अब आपसे क्या कहूँ
देखा है मैंने ,
मिटते हुए अपनी हस्ती को ....
वो आशियाना सामने, मेरे जलकर राख हो गया
वो मंजिल ,वो सपने,सब खाख हो गया
लोग भी बहुत आये थे, मुझको सांत्वना देने
कुछ बनकर आये इन्सां,कुछ अपना उधार लेने
सब कुछ तो ठीक था , इस जिंदगी मैं मेरी
मगर एक ही सैलाब ने ..
हिलाकर रख दिया मेरी कश्ती को ....
और पल भर मैं ,मिटा कर रख दिया
मेरे ही सामने ......
मेरी ही हस्ती को
Friday, 16 September 2011
टूटे हुए ख्वाबो की दास्ताँ मुझसे सुन
टूटे हुए ख्वाबो की दास्ताँ मुझसे सुन
मेरी तरह एक हमसफ़र तू भी चुन
एक ख्वाब जो मैंने भी देखा था
जो पल भर मैं ही टूट गया !
मैं देखता रहा हाथों की लकीरे
नसीब हाथों से मेरे फिसलता रहा
अब टूट गए वो सपने मेरे
अब छुट गये वो अपने मेरे
किस्मत की कहानी क्या बताऊ तुमको
एक छोटा सा मशवरा देता हूँ तुमको
न मेरी तरह कभी तू सपने बुन
टूटे हुए ख्वाबो की दास्ताँ मुझसे सुन
मेरी तरह एक हमसफ़र तू भी चुन
टूटे हुए ख्वाबो की दास्ताँ मुझसे सुन
टूटे हुए ख्वाबो की दास्ताँ मुझसे सुन
मेरी तरह एक हमसफ़र तू भी चुन
एक ख्वाब जो मैंने भी देखा था
जो पल भर मैं ही टूट गया !
मैं देखता रहा हाथों की लकीरे
नसीब हाथों से मेरे फिसलता रहा
अब टूट गए वो सपने मेरे
अब छुट गये वो अपने मेरे
किस्मत की कहानी क्या बताऊ तुमको
एक छोटा सा मशवरा देता हूँ तुमको
न मेरी तरह कभी तू सपने बुन
टूटे हुए ख्वाबो की दास्ताँ मुझसे सुन
मेरी तरह एक हमसफ़र तू भी चुन
Wednesday, 14 September 2011
मेरी कविताओ पर तुम दाद तो दो ..
मैं सुना रहा हूँ तुमको कब से
मेरी कविताओ पर तुम दाद तो दो ..मानता हूँ मैं ,हुई है मुझसे खता
मेरी खता की ,इतनी बड़ी न दो सजा
मांग रहा हूँ माफ़ी कब से .....
अब कर भी तुम माफ़ तो दो
मैं सुना रहा हूँ तुमको कब से
मेरी कविताओ पर तुम दाद तो दो ..तुमसे दूर होकर ,हम सोना ही भूल गए
और मिले जब बिछड़ कर तुमसे
रोना तो चाहा,मगर रोना ही भूल गए
अब इस मिलने की ख़ुशी में ...
हाथों में मेरे तुम जाम तो दो ...
मैं सुना रहा हूँ तुमको कब से
मेरी कविताओ पर तुम दाद तो दो ..कब से निहार रहा हूँ तुझको मेरे हमसफर
चल चले हम दोनों ,प्यार की डगर
वो कब से छुपा कर बैठे हो
अब खोल भी वो तुम राज़ तो दो
मैं सुना रहा हूँ तुमको कब से
मेरी कविताओ पर तुम दाद तो दो ..एक बात सुनोगे गर..... सुन सको तो कह लूँ

एक बात सुनोगे गर
सुन सको तो कह लूँ
ज़ख्म जो तुने दिए बता उनको कैसे सह लूँ
आँखों में देख जरा तू
अश्क अश्क ही है इनमे
है जिंदगी मेरी तुझसे
तेरे बिन कैसे रह लूँ
ये अश्क जो अब हो चले है
समुन्दर से भी गहरे
सोचता हों अब मैं भी
साथ इनके ही बह लूँ
अब तन्हाई भी साथ नहीं देती
काश .. तुम एक बार हंस देती
कहना चाहता हूँ आज भी .. वो ही
रुकोगे एक पल जरा
सूनने को दास्ताँ ..इस दीवाने की
गर सुन सको तो कह लूँ
Tuesday, 13 September 2011
तो पढना कभी मेरी उदासी को ...............
पढना चाहते हो मुझे गर
तो पढना कभी मेरी उदासी को
समझना चाहते हो मुझे गर
तो समझना मेरे जज्बातों को
मिलना चाहते हो मुझसे गर
तो मिलना मेरी तन्हाइयो से
बाटना चाहते हो गर दर्द मेरा
तो बाटना मेरी रुसवाइयो को
तुम मुझे समझ जाओगे उसी दिन
दिन भी नहीं कटेगा तुम्हारा मेरे बिन
ये सच है हूँ मैं कुछ भी नहीं
लेकिन तुम्हे पाकर खुश हूँ मैं
क्योंकि तुम फिर मिलोगे एक दिन यही
रहेगा मुझे उस दिन का इंतजार
होगा जिस दिन मेरे प्यार का इज़हार
जो भाग रहा है पैसे की अंधी दोड़ में
वो भी बस यही कहेगा ,प्यार ,....प्यार..प्यार .....
Saturday, 10 September 2011
जब आँख लगी तो ख्वाबो में तुम चली आई ......
वो आपका चेहरा आज फिर
मुस्कुरा कर सामने मेरे आ गया
दिल में मेरे एहसास हुआ ऐसा
जैसे कोई भूचाल आ गया
फिर ले गया मन तेरी यादों की कोठरी में
और याद जब तुझको किया तो आँखें भर आई
आज फिर तेरी वो बाते याद आई
जिन्होंने हलचल मेरे दिल विच मचाई |
वो पल आज भी याद है मुझे
इन आँखों ने देखा था जिस दिन तुझे
देखते ही तुझको मैं सिहर उठा
मेरा पागल दिल भी पिघल उठा
उस रात मुझको नीद भी नहीं आई
और जब आँख लगी तो ख्वाबो में तुम चली आई
जिन्होंने हलचल मेरे दिल विच मचाई |
ना तुम मुझको जान सके
ना हम तुम को पहचान सके
मालूम नहीं मुझे मगर लोग कहते है
की रोया था बादल भी उस रात
हुई जिस दिन तेरी मेरी विदाई
आज फिर तेरी वो बाते याद आई
जिन्होंने हलचल मेरे दिल विच मचाई |
Friday, 9 September 2011
मेरी ख्वाबो की दुनिया .......... अब सवरने लगी है |

अब सवरने लगी है |
थी जिसको नफरत मुझसे
वो भी मुझपर मरने लगी है
मेरी ख्वाबो की दुनिया
अब सवरने लगी है |
कसूर मेरा ही था की
वो मुझसे रूठे रहे उम्र भर
उनके रूठने से मिले जो ज़ख्म
उनको वो ही अब भरने लगी है
मेरी ख्वाबो की दुनिया
अब सवरने लगी है |
यूँ तो की कोशिश बहुत की
हमने उन्हें मानाने की .....
जिनको नफरत थी चेहरे से हमारे
देखकर वो भी हमको हंसने लगी है
मेरी ख्वाबो की दुनिया
अब सवरने लगी है |
उस भगवन के उपकार से
हूँ मैं आज उस मुकाम पर
की लोग सलाह लेते है मुझसे
दुनिया जिनकी बिखरने लगी है
मेरी ख्वाबो की दुनिया
अब सवरने लगी है |
Monday, 5 September 2011
इस डूबी हुई कश्ती को सहारा नहीं मिला
इस डूबी हुई कश्ती को सहारा नहीं मिला
अपने तो बहुत मिले ,कोई हमारा नहीं मिला
याद आता है वो पल आज भी
डूबी थी कश्ती मेरी जिस दिन
थामा तो हाथ बहुतो ने था मेरा
मगर फिर भी किनारा नहीं मिला
इस डूबी हुई कश्ती को सहारा नहीं मिला
अपने तो बहुत मिले ,कोई हमारा नहीं मिला
माना उस तूफ़ान में लाखों बेघर हुए थे
फिर कुछ आये भी थे सांत्वना देने के लिए
जिंदगी तो मिल मुझे भी मिल जाती ........
मगर क्या करू साथ जब तुम्हारा नहीं मिला
इस डूबी हुई कश्ती को सहारा नहीं मिला
अपने तो बहुत मिले ,कोई हमारा नहीं मिला
तुम्हारी इस बेरुखी को मैं क्या नाम देता
अपने साये को क्यों मैं बदनाम कर देता
मुझे अफ़सोस है आज भी इस बात का
वो ख़त आपको हमारा नहीं मिला
इस डूबी हुई कश्ती को सहारा नहीं मिला
अपने तो बहुत मिले ,कोई हमारा नहीं मिला
Saturday, 3 September 2011
इस कविता को अब मैं क्या नाम दूं ......

अतीत पर अपने मैं पछता रहा था
चला जा रहा था मैं मंजिल को पाने
कुछ रूठे हुए अपनों को मनाने.........
अचानक ही झटका दिया जिंदगी ने
जमी पर पटका दिया जिंदगी ने
मैं हैरान था , कुछ परेशान था
फिर मैंने वहां कुछ था ऐसा देखा
सवारने लगी मेरे हाथो की रेखा
निकला था मैं जिस मंजिल को पाने
लगी वो धीरे धीरे मेरे पास आने
फिर मुझको एक आवाज़ आई
चारो तरफ से दी जो सुनाई
वो आवाजे कुछ यूं बताती है
की पतझड़ के बाद ,बहारे आती है
लगे जब भी ह्रदय तुम्हारा घबराना
तुम सीधे चले मेरे पास आना
पता है तुमको ,हूँ मैं गरीब
पर जैसा भी हूँ , हूँ तुम्हारा नसीब
इस कविता को अब मैं क्या नाम दूं
सोचता हूँ , कलम को यहीं विराम दूं.
Friday, 2 September 2011
क्यों भर आई आज ये आँखें .........
हम भी है भई कितने अभागे
प्यार किया था जिससे हमने
था बड़ा मासूम वो चेहरा
खबर लगी दुनिया को इसकी
लगा दिया हम पर पहरा
हमारी खातिर जिसने भैया
कुरबां कर दी अपनी सांसे
क्यों भर आई आज ये आँखें
हम भी है भई कितने अभागे
देना प्यार उसी का मुझको
पल पल जिसको याद हूँ करता
पल पल करता जिसकी बाते
क्यों भर आई आज ये आँखें
हम भी है भई कितने अभागे
हम दोनों का क्या था कसूर
किया हमको क्यों मजबूर
उम्र ही क्या थी उसकी अभी
जिसकी रह गयी सिर्फ यादे
क्यों भर आई आज ये आँखें
हम भी है भई कितने अभागे
अब हम भी चाहते है जाना
हमराही का प्यार है पाना
मेरी एक कविता पर
दी थी जिसने इतनी दादे
क्यों भर आई आज ये आँखें
हम भी है भई कितने अभागे
Thursday, 1 September 2011
आँखों में मेरी कुछ नमी सी है..........
है तो सब कुछ मेरे पास, मगर
फिर भी न जाने कुछ कमी सी है
तुमने मुझको जीना सिखाया
गिरकर फिर संभलना सिखाया
और आज ,हाल ये है मेरा की
तेरे लौट आने के इंतजार में
सांसे मेरी अभी थमी सी है
आज आँखों में मेरी कुछ नमी सी है
है तो सब कुछ मेरे पास, मगर
फिर भी न जाने कुछ कमी सी है
बसे भी ना थे , की घर उजड़ गए
अभी संभले ही थे, की पैर उखड गए
एक उम्मीद की शमा बाकी है अभी
कहीं उजड़ ना जाये फिर से
ये मेरी दुनिया अभी बसी सी है
आज आँखों में मेरी कुछ नमी सी है
है तो सब कुछ मेरे पास, मगर
फिर भी न जाने कुछ कमी सी है
Wednesday, 31 August 2011
अक्सर तन्हाई में उसको याद करता हूँ
अक्सर तन्हाई में उसको याद करता हूँ
उसकी खातिर लड़ा बहुत हालात से
जो खेल गयी मुझसे और मेरे जज्बात से
जिसने दिए मुझे दर्द -ओ- गम तमाम
उसी बेवफा को आज मैं माफ़ करता हूँ
एक गुनाह मैं बार-बार करता हूँ
अक्सर तन्हाई में उसको याद करता हूँ
सुना है , अब वो भी याद करने लगी है
इस दीवाने पर जाँ निसार करने लगी है
शायद मुह्हबत मेरी रंग लाएगी एक दिन
उसी दिन का मैं इंतज़ार करता हूँ ........
एक गुनाह मैं बार-बार करता हूँ
अक्सर तन्हाई में उसको याद करता हूँ
जिस पल वो पास मेरे आएगी
मेरी दुनिया और हसीं हो जाएगी
कहेगी वो भी, की प्यार है मुझे तुमसे
जिसको मैं जाँ से ज्यादा प्यार करता हूँ
एक गुनाह मैं बार-बार करता हूँ
अक्सर तन्हाई में उसको याद करता हूँ
Tuesday, 30 August 2011
सोचता हूँ आज कह दूं .......................

दिल की बात जुबां पे ला दूं
उनकी मुस्कान आज कुछ अलग है
उनका मिजाज भी शायद आज बदला है
सोचता हूँ आज तो कह दूं
दिल की बात जुबां पे ला दूं
यूँ ही सोचते सोचते कहीं वो चले ना जाये
कल का क्या पता वो आये या ना आये
सोचता हूँ आज कह दूं
दिल की बात जुबां पे ला दूं
मगर यूँ ही सोचते सोचते शाम हो चली
और शाम होते ही वो भी घर को चली
दिल के जज्बात दिल में रह गए
कहना था कुछ और उनसे
और हम कुछ और कह गए
सोचता तो आज भी हूँ
की मैंने इतना क्यों सोचा
की सोचने सोचने में शाम हो गयी
और बिना कुछ कहे ही
मेरे इश्क की चर्चा सरे आम हो गयी
अब मैं इस घटना को क्या नाम दूं
सोचता हूँ आज भी कह दूं
दिल की बात जुबां पे ला दूं
Monday, 29 August 2011
वो रास्ते आज फिर सुनसान से है, ये आँखें नम पिछली शाम से है
ये आँखें नम पिछली शाम से है
वो गए थे मुझे जब भी तनहा छोड़कर
मेरे विश्वास को, मेरे वादों को तोड़कर
जिनका जिक्र भी छुपाते थे सबसे
वो ही आज सरेआम से है
वो रास्ते आज फिर सुनसान से है
ये आँखें नम पिछली शाम से है
मुझे याद है आज भी वो दिन
जिया था मैं जिसपल उसके बिन
यूं तो मना किया था उन्होंने पीने से
मगर आज हाथों में फिर जाम से है
वो रास्ते आज फिर सुनसान से है
ये आँखें नम पिछली शाम से है
और आज जब रुकने लगी साँस
मन कहने लगा होकर उदास
लो करदो मेरा क़त्ल ए आम
मुझे अब लगाव नहीं इस जान से है
वो रास्ते आज फिर सुनसान से है
ये आँखें नम पिछली शाम से है
Saturday, 27 August 2011
तेरे आने की इक बंधी हुई है आश, तेरे बिन मैं हूँ जाना ,बस इक जिंदा लाश
तेरे आने की इक बंधी हुई है आश
तेरे बिन मैं हूँ जाना ,बस इक जिंदा लाश
कब से राह तेरी देख रहा हूँ ...
यादों में तुझे सोच रहा हूँ
तेरे इक दीदार की खातिर रुकी हुई है साँस
तेरे आने की इक बंधी हुई है आश
तेरे बिन मैं हूँ जाना ,बस इक जिंदा लाश
यूं तो मिले बहुत मुझे इस जिंदगी ए डगर में
क्यों बस तुम ही बसे इस जिगर में
तुम्हे भी नहीं होगा मालूम
तुम हो कितने खाश
तेरे आने की इक बंधी हुई है आश
तेरे बिन मैं हूँ जाना ,बस इक जिंदा लाश
मैंने शोहरत बहुत कमाया
पर बात समझ बाद में आया
आज हूँ मैं अपनी जिंदगी का शेन्शाह
पर कुछ भी नहीं है मेरे पास
तेरे आने की इक बंधी हुई है आश
तेरे बिन मैं हूँ जाना ,बस इक जिंदा लाश
Sunday, 21 August 2011
आज हमको ठुकराकर जा तो रहे हो
आज हमको ठुकराकर जा तो रहे हो
मगर आने वाले कल में आप पछताएँगे
आज आप जा रहे हो हमसे मुह मोडकर
कल हम भी चले जायेंगे तुमको तडपता छोडकर
और फिर आप हमको बुलाओगे
मगर हम नहीं आयेंगे
क्योंकि तुमसे बिछड़ कर हम
इस दुनिया में नहीं उस दुनिया में चले जयेंगे
आज हमको ठुकराकर जा तो रहे हो
मगर आने वाले कल में आप पछताएँगे
तुम सोचना यू ही मुझको खवाबो में
और गर करना हो महसूस मुझे
तो जाना गुलाबो की खुसबो में
मैं मिलूँगा तुमको गुलाबो में
जिंदा रहकर भी हम तुम
पल पल मरते रह जाएँगे
आज हमको ठुकराकर जा तो रहे हो
मगर आने वाले कल में आप पछताएँगे
Friday, 19 August 2011
खवाबो में देखा है जिनके लिए सेहरा आज हकीकत में देखा उनका चेहरा
खवाबो में देखा है जिनके लिए सेहरा
आज हकीकत में देखा उनका चेहरा
चेहरे पर मासूमियत इतनी मगरूर थी
चेहरे पर मासूमियत इतनी मगरूर थी
और क्या बताये आपको ,,,,
जब लड़ी उनसे हमारी नजर
कसम से आँखें उनकी शर्म से चूर चूर थी
दीदार करने को उनका हर तरफ था कड़ा पहरा
खवाबो में देखा है जिनके लिए सेहरा
आज हकीकत में देखा उनका चेहरा
सुना था आज वो चले जायेंगे
हमको यूं ही अकेला तनहा कर जायेंगे
आकर उन्होंने कहा की चलते है
देखकर उनको हमने सुना की मिलते है
यूँ तो काफी लोग थे उनके दीदार की खातिर
और आखिरी दीदार के लिए मैं भी ठहरा
खवाबो में देखा है जिनके लिए सेहरा
आज हकीकत में देखा उनका चेहरा
ऐसे हालात अब आने लगे है मेरे अपने मुझे रुलाने लगे है
ऐसे हालात अब आने लगे है
मेरे अपने मुझे रुलाने लगे है
कोई हँसता है ,तो कोई रोता है
मुझे जिंदगी के इस मोड़ पर देखकर
उन्हें नहीं पता शायद ,मुझे यहाँ आने में
कितनी सदीयाँ कितने ज़माने लगे है
ऐसे हालात अब आने लगे है
मेरे अपने मुझे रुलाने लगे है
कोई हँसता है मेरे ही सामने मुझ पर
कहता है कोई, धिक्कार है तुझ पर
वो जो मुझ पर कभी जाँ निसार करते थे
आज वो ही मुझको सताने लगे है
ऐसे हालात अब आने लगे है
मेरे अपने मुझे रुलाने लगे है
यहाँ पैसे को बढ़ता देखकर
यहाँ प्यार को मरता देखकर
पंछी भी यहाँ आने से
अब कतराने लगे है
ऐसे हालात अब आने लगे है
मेरे अपने मुझे रुलाने लगे है
Wednesday, 4 May 2011
ये अश्क ही है बस अब तेरी याद की निशानी
मेरी आँखों में सजे अश्क, जो है मेरी कहानी
ये अश्क ही है बस अब तेरी याद की निशानी
ये अश्क जो थे मोती ,अब बन गए है पानी
तम्मना है अब भी ,गुज़ारू तेरे ही साथ जिंदगानी
ये कुछ और नहीं बस वक़्त की है रवानी
तुझे मालुम है की जिंदगी है एक खामोश सफ़र
और इसमें तुझे मेरे साथ चलना है मेरे हमसफ़र
हम होंगे साथ तो नहीं डगमगायेगी हमारी डगर
लेकिन तू ही मुझको चली गयी छोड़कर
साडी कसमे, सारे वादे तोड़कर
मुझे तेरा इंतजार अब भी है जानी ........
मुझ पर भी करदे ये छोटी सी महेरबानी
मेरी आँखों में सजे अश्क, जो है मेरी कहानी
ये अश्क ही है बस अब तेरी याद की निशानी
ये अश्क ही है बस अब तेरी याद की निशानी
मेरी आँखों में सजे अश्क, जो है मेरी कहानी
ये अश्क ही है बस अब तेरी याद की निशानी
ये अश्क जो थे मोती ,अब बन गए है पानी
तम्मना है अब भी ,गुज़ारू तेरे ही साथ जिंदगानी
ये कुछ और नहीं बस वक़्त की है रवानी
तुझे मालुम है की जिंदगी है एक खामोश सफ़र
और इसमें तुझे मेरे साथ चलना है मेरे हमसफ़र
हम होंगे साथ तो नहीं डगमगायेगी हमारी डगर
लेकिन तू ही मुझको चली गयी छोड़कर
साडी कसमे, सारे वादे तोड़कर
मुझे तेरा इंतजार अब भी है जानी ........
मुझ पर भी करदे ये छोटी सी महेरबानी
मेरी आँखों में सजे अश्क, जो है मेरी कहानी
ये अश्क ही है बस अब तेरी याद की निशानी
ये अश्क ही है बस अब तेरी याद की निशानी
मेरी आँखों में सजे अश्क, जो है मेरी कहानी
ये अश्क ही है बस अब तेरी याद की निशानी
ये अश्क जो थे मोती ,अब बन गए है पानी
तम्मना है अब भी ,गुज़ारू तेरे ही साथ जिंदगानी
ये कुछ और नहीं बस वक़्त की है रवानी
तुझे मालुम है की जिंदगी है एक खामोश सफ़र
और इसमें तुझे मेरे साथ चलना है मेरे हमसफ़र
हम होंगे साथ तो नहीं डगमगायेगी हमारी डगर
लेकिन तू ही मुझको चली गयी छोड़कर
साडी कसमे, सारे वादे तोड़कर
मुझे तेरा इंतजार अब भी है जानी ........
मुझ पर भी करदे ये छोटी सी महेरबानी
मेरी आँखों में सजे अश्क, जो है मेरी कहानी
ये अश्क ही है बस अब तेरी याद की निशानी
Tuesday, 3 May 2011
क्यों अपने पी के को रुलाया आपने.........
जिंदगी ऐ संघर्ष से जब मैं लगा था कापने
तब उस दौर ऐ जिंदगी में साथ थामा था मेरा आपने
वो दिन जब मैं अपने आप पर रोता था
मुझे याद है उन दिनों मुझे हसाया था आपने
मुझे गुनाह करने से बचा तो लिया ( क्योंकि मैं आत्मदाह का प्रयाश कर रहा था )
मगर फिर गुनाह करने पर मजबूर किया आपने
मैंने तो हार मान ली थी जिंदगी से
मगर क्यों फिर मुझको जीना सिखाया आपने
यूँ तो हम फिरते थे किस्मत के मारो की तरह
लेकिन मुक्क़दर का सिकंदर हमको बनाया आपने
और अब जो आ गया है जिंदगी का आखिरी पड़ाव
अब तो शरीर भी लगा है मेरा हाफ़ने........
अब तो निभा जाओ वो वादा, वो कसमे
जो कभी अनजाने में हमसे किये थे आपने
सोचता हूँ अब मैं मेरे हमसफ़र
क्यों मुझे जिंदगी देकर सताया आपने
इतने गुनहाओ के बाद ,जिंदगी से जाकर
क्यों अपने पी के को रुलाया आपने.........
क्यों अपने पी के को रुलाया आपने.........
जिंदगी ऐ संघर्ष से जब मैं लगा था कापने
तब उस दौर ऐ जिंदगी में साथ थामा था मेरा आपने
वो दिन जब मैं अपने आप पर रोता था
मुझे याद है उन दिनों मुझे हसाया था आपने
मुझे गुनाह करने से बचा तो लिया ( क्योंकि मैं आत्मदाह का प्रयाश कर रहा था )
मगर फिर गुनाह करने पर मजबूर किया आपने
मैंने तो हार मान ली थी जिंदगी से
मगर क्यों फिर मुझको जीना सिखाया आपने
यूँ तो हम फिरते थे किस्मत के मारो की तरह
लेकिन मुक्क़दर का सिकंदर हमको बनाया आपने
और अब जो आ गया है जिंदगी का आखिरी पड़ाव
अब तो शरीर भी लगा है मेरा हाफ़ने........
अब तो निभा जाओ वो वादा, वो कसमे
जो कभी अनजाने में हमसे किये थे आपने
सोचता हूँ अब मैं मेरे हमसफ़र
क्यों मुझे जिंदगी देकर सताया आपने
इतने गुनहाओ के बाद ,जिंदगी से जाकर
क्यों अपने पी के को रुलाया आपने.........
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