नहीं आती अब इस चेहरे पर मुस्कान
याद है मुझको वो बीता हुआ कल
बाहों में तेरी वो गुजरा हुआ पल
आँखें भर आती है तुझे याद करके
अश्क भी अब जैसे बने है मेहमान
तेरे जाने के बाद , लुट गया ये जहान
नहीं आती अब इस चेहरे पर मुस्कान
कभी हम भी दिल में तुम्हारे राज करते थे
मेरी शायरी पर लोग नाज़ करते थे
गये हो जबसे तुम , तनहा तनहा हूँ मैं
तुम आओगे , कहकर लोग देते है इत्मिनान
तेरे जाने के बाद , लुट गया ये जहान
नहीं आती अब इस चेहरे पर मुस्कान
अपने साये से बाते करता हूँ आजकल
याद करते हुए , तुम्हे लिखता हूँ ग़ज़ल
जीना चाहता था , दो पल तेरे साथ मैं भी
जल गया मगर , मेरे जीने का फरमान
तेरे जाने के बाद , लुट गया ये जहान
नहीं आती अब इस चेहरे पर मुस्कान