अब किस्मत का
दुखड़ा क्या रोऊँ,
कल सब जो
खुसी में सरीक
थे मेरी
और मैं कहीं
और ही था
गुजरे कल के
गहरे समुन्दर में
डूबा हुआ
समेटता हुआ गुजरे
लम्हों को
संजोता हुआ, बीते
पलो को
अब जबकि सब
कुछ लूट रहा था
मैं, खुद ही
के सामने
लगातार शून्य में
ताक रहा था
ना कहे बन
रहा था कुछ
ना सुने बन
रहा था
दोनों के अंदर
जुदाई की
अपार अश्रु धारा
बह रही थी
जबकि दोनों
ही हंस रहे थे
ऊपरी मन से
कहीं पढ़ ना
ले कोई
उनके चेहरे की
उदासी को
अजीब कश्मकश में
थी ज़िंदगी
ना आगे जा
सकता था
ना पीछे हट
सकता था
मज़बूरी और हालात
रह रह कर
छल रहे थे
और इस नाकाम
कोशिश में
हम दोनों ही
जल रहे थे
माँ बाप की
उम्मीद भी जायज थी
और इधर प्यार
भी
एक तरफ ममता
हिलोरे ले रही थी
और एक तरफ
एहसास से भरी संवेदनाये
वक़्त का कहर
लगातार जारी था
ये ऐसा वक़्त
था, जो दोनों
पे भारी था
प्यार करके मगर
हम शर्मिंदा क्यों
है !
अगर शर्मिंदा है, तो फिर ज़िंदा
क्यों है
ये बात ऐसी
है कि किसी से कह
नही सकता
तेरी आँखों में
आंसू हो, ये मैं सह
नही सकता
अब आगे क्या
कहूँ तुमसे
हम दोनों को
समझना होगा
ये जो हालात
है, इनसे गुजरना
होगा लड़ना होगा
ताउम्र हम प्यार
करेंगे
एक दूजे के
दिल में रहेंगे
मुझे सजा दे
दो तुम, गुनहगार
हूँ तुम्हारा
जैसा भी हूँ,
जो भी प्यार
हूँ तुम्हारा
पी के ''तनहा''