यूं ही चला आ रहा हूँ कबसे जिंदगी को जीतता हारता, तलाश है मंजिल की डगर की ,तलाश है मेरे हमसफ़र की ....
Friday, 30 December 2011
Tuesday, 20 December 2011
कुछ मजबुरिया थी वक़्त की ,और कुछ मैं मजबूर था
दिल जिसके लिए कबसे बेकरार था !
खवाबो में भी अब उन्ही का इंतजार था !!
कुछ नींद थी इन आँखों में , सोचा चलो सोया जाये !
पलके बंद ही की थी , और ख्वाबो में वो चले आये !!
मुझे यकीं नही था ,ख्वाबो में ही सही वो सामने है !
खुश था मैं इस तरह ,जैसे भक्त को दर्शन दिए भगवान ने है !!
कहने लगे वो, क्यों मुझसे इतना प्यार किया तुमने !
गर मुझसे थी मोहब्बत ,क्यों नही इज़हार किया तुमने !!
दिल में तो बहुत कुछ था , बस इतना ही कह पाया !
बस तेरे दीदार को तरसते है , मैं और मेरा साया !!
यूँ तो प्यार का तेरे मुझ पर ,चढ़ा सुरूर था !
कुछ मजबुरिया थी वक़्त की ,और कुछ मैं मजबूर था !!
हर मुस्किल में ,तुने क्यों इतना साथ दिया मेरा !
शब्द नहीं है कहने को ,चुकाऊ कैसे एहसान तेरा !!
दोनों ही की आँखों से अश्क जब बहने लगे !
पोछ कर आंसू मेरे ,इस कद्र कहने लगे !!
सुख - दुःख में दोनों , हमसफ़र बन साथ चलेंगे !
डगर एक होगी , देखेगा ये ज़माना ,हाथो में लेकर हाथ चलेंगे !!
और फिर ख्वाबो की दुनिया में ऐसा तूफा आया !
सुबह हो गयी है ,कहकर किसी ने मुझे जगाया !!
दोस्तों ये कविता नहीं थी , सच्ची थी ये कहानी !
लिखते लिखते जिसको , आँखों में आ गया पानी !!
Thursday, 15 December 2011
हारा नहीं था मैं , था आज कुछ थका हुआ...
हारा नहीं था मैं , था आज कुछ थका हुआ
जिंदगी में मेरी, आज कुछ ऐसा हुआ ....
की इस कद्र चल रहा था , मंजिल ए डगर पर
फिरता है , जैसे कोई प्यार का मारा हुआ ..
जीत कर भी मुझे लग रहा था ऐसा
जीत कर भी जैसे कोई इन्सां हो हारा हुआ
मगर .......
हारा नहीं था मैं , था आज कुछ थका हुआ...
प्यार की मंजिल को , आखिर पा ही लिया मैंने
अंजाम को देखा तो सोचा , ये क्या किया मैंने
वर्षो की तम्मना , पूरी हुई थी मेरी ......
सपना पूरा हुआ ,जैसे कोई रुका हुआ ...
हारा नहीं था मैं , था आज कुछ थका हुआ...
Tuesday, 13 December 2011
दिल का दरिया बहता जाये ........
एक दर्द सा मानो सहता जाये ...
देख कर उनको एक पल ही बस
इसको यूँ ही चैन आ जाये
सुने या ना सुने कोई इसकी
एक कहानी मानो कहता जाये
दिल का दरिया बहता जाये
एक दर्द सा मानो सहता जाये
ये हर कोई कहता है
दिल में किसी के तू रहता है
कोई हँसे है , पल पल यूँ ही
कोई रोकर भी ना रो पाए
दिल का दरिया बहता जाये
एक दर्द सा मानो सहता जाये
सबकी कोई कहानी होती है
ये बात ए जवानी होती है
टूट क्र इतना चाहो किसी को
की प्यार को भी प्यार हो जाये
दिल का दरिया बहता जाये
एक दर्द सा मानो सहता जाये
Friday, 9 December 2011
यूँ तो कहने को .... साथ है मेरे सारा जमाना...

साथ है मेरे सारा जमाना
मगर चाहता हूँ मैं .....
जिंदगी में कुछ कर दिखाना
अब देखना है की .....
चमकू सितारों की तरह
या बन के रह जाऊ ....
वक़्त का इक फ़साना
यूँ तो कहने को ....
साथ है मेरे सारा जमाना
लेकिन ये बाते है नसीब की
क्या सुनोगे कहानी इस गरीब की
पल पल जिसको वक़्त ने मारा
किसी ने दिया ना कोई सहारा
जिंदगी क्या है तब मैंने जाना
यूँ तो कहने को ....
साथ है मेरे सारा जमाना
Thursday, 8 December 2011
जिंदगी जब भी मायूस होती है ....
ये तब ही महसूस होती है ......
छुपा न पाओगे मुझसे तुम
अपनी आँखों का समुंदर
आँखें तो रोती ही है तुम्हारी
कभी कभी मुस्कान भी रोती है
जिंदगी जब भी मायूस होती है
ये तब ही महसूस होती है .......
काश छंट जाते वो अंधेरो के साये
तुम्हारी मुस्कान फिर से लौट आये
ये अश्क भी अब अश्क नहीं रहे
लोग कहने लगे इन्हें अब मोती है
जिंदगी जब भी मायूस होती है
ये तब ही महसूस होती है ......
मुझको दर्द देने का ......
उसका अलग अंदाज़ था
मगर दुःख दर्द में मेरे वो
अब भी महफूज़ होती है
जिंदगी जब भी मायूस होती है
ये तब ही महसूस होती है.......
Wednesday, 7 December 2011
आज हंसा कुछ यूं खुलकर .....
जिंदगी को जिया है यूं ही
छोटी सी आशा बुनकर
याद आज कुछ ऐसा आया
आज हंसा कुछ यूं खुलकर
Friday, 2 December 2011
मैं क्या करू अब मुझसे, ये दर्द सहा नहीं जाता.......

ये दर्द सहा नहीं जाता ..........
दो पल गुजरे उसकी बाहों में
काश की ऐसा हो पाता
मैं क्या करू अब मुझसे
ये दर्द सहा नहीं जाता ..........
तनहा तनहा वो यादों में रहता है
अच्छा होता , दीदार जो उसका हो जाता
मैं क्या करू अब मुझसे
ये दर्द सहा नहीं जाता .............
समझ जो पाती तुम मुझको
तो प्यार तुम्हे भी हो जाता
मैं क्या करू अब मुझसे
ये दर्द सहा नहीं जाता .........
अब इस रुसवाई का मैं क्या करू
अच्छा होता , मुझको भी साथ तू अपने ले जाता
मैं क्या करू अब मुझसे
ये दर्द सहा नहीं जाता........
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