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Wednesday, 24 April 2013

खुद भी रोयेंगे आज, तुम्हे भी रुलायंगे ....

आज ख्वाबो में तुमको फिरसे बुलाएँगे !
कहानी जो अधूरी है, तुमको सुनायेगे !!
मुददत हो गयी, इन आँखों से आंसू निकले !
खुद भी रोयेंगे आज, तुम्हे भी रुलायंगे !!


                                       पी के ''तनहा''

Tuesday, 23 April 2013

जिसकी बारात दरवाजे से वापिस चली जाती

हाँ, जानता हूँ !
जायज है उनका नाराज होना ....आखिर बड़े जीजा जी है वो मेरे ..लेकिन उनको खुश रखने के लिए ..मैं वो सब कैसे कर सकता था जो वो चाहते थे ! की छोटी बहन की सगाई वापिस ले आऊ ! मैं अपनी चोखट पर बारात ना आने दूं !
क्या गुजरती मेरी बूढी माँ ...जिसने दर्द ही दर्द में जिंदगी को जिया है !
क्या गुजरती दिल के मरीज पिता पर ... जिसकी जिंदगी दुखो की भेंट चढ़ गयी !
क्या गुजरती उस बहन पर जिसकी बारात दरवाजे से वापिस चली जाती !
क्या गुजरती उस भाई पर ...जो सबसे छोटा था ! एकलौता था ! तमाम जिम्मेदारिया थी उसके नन्हे कंधो पर !
मैं नहीं कर सकता था वो सब ....अब रूठना है तो कोई रूठे !
मुझको फर्क नहीं पड़ता ....मैं एक शख्स की खुसी के लिए इतना सब नहीं कर सकता ....
मगर फिर भी ....एक टीस सी उभरती है मन में ...की आखिर वो बड़े जीजा है ....

पी के ''तनहा''

Saturday, 13 April 2013

जब भी मुझको, खुद मुझी से प्यार होता है.......

खुद पर अक्सर, जब मुझे ऐतबार होता है !
ख्वाब में ए हमसफ़र, तेरा दीदार होता है !!
मैं सोचता रहता हूँ, हर पल- हर घडी तुझको !
जब भी मुझको, खुद मुझी से प्यार होता है !!

तेरी रहमत, तो मुझ पर यूँ, कुछ यूँ बरसती है !
मेरी सफलता का श्रेय, तू ही मेरे सरकार होता है !!

अब ये जिंदगी मेरी, हसीं कुछ यूँ है हो गयी !
''सफ़र में हमसफ़र'', तू ही मेरे यार होता है !! 

तम्मना है मेरी, इतनी की बस दीदार हो तेरा !
तम्मना हो सभी पूरी, कहाँ ये हरबार होता है !! 

पी के ''तनहा''

Friday, 12 April 2013

क्या मोह्हबत में,''पी के'' ऐसा ही होता है

डूब कर तेरे एहसासों में, कुछ यूँ होता है !
हंसती रहती है आँखें, मगर दिल रोता है !!
बिछड़ कर तुझसे, ''तनहा'' मैं हो गया हूँ !
क्या मोह्हबत में,''पी के'' ऐसा ही होता है !!
पी के ''तनहा''

Monday, 8 April 2013

साथ जिसके हँसे, उसने रुलाया बहुत !!............

आज वो मुसाफिर, फिर से याद आया बहुत !
मैंने जिससे, था, दिल को लगाया बहुत !!

मैंने जां-ओ-जिंदगी, कर दी नाम सब उसके !
मगर उसने, था मुझको आजमाया बहुत !!

अब मेरी वफा को कैसे, नीलाम वो करता !
हर पल था, मैंने जिसको, हंसाया बहुत !!

बिछड के उससे अब, कैसे हम जी ले !
साथ जिसके हँसे, उसने रुलाया बहुत !!

पी के ''तनहा''




Saturday, 6 April 2013

एक गुनाह , जो मैं बार बार करता हूँ ..

एक गुनाह , जो मैं बार बार करता हूँ !
भूलकर अक्सर, तुझे याद करता हूँ !!
पाता हूँ, खुद को मैं  ''तनहा'' जब कभी !
रब से ''दीदार ए यार'' की फ़रियाद करता हूँ !!

पी के ''तनहा''

Friday, 5 April 2013

लबो ने रोका , और ख़ामोशी ने बोल दिया ........

लबो ने रोका , और ख़ामोशी ने बोल दिया !
''राज़ ए दिल'' भरी महफ़िल में खोल दिया  !!
बहुत समझाया, मैंने, मत कुरेद दिल के ज़ख्म !
नहीं माना ये मन, ''दिल ए ज़ख्म'' कुरेद दिया !!

पी के ''तनहा''