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Saturday, 30 April 2016

ज़िंदगी मानो, एक ज़िंदा लाश है.........

मेरी ज़िंदगी में तू, इतना खास है !
तू नहीं है , मगर तेरा एहसास है !!

एक तेरे बगैर तनहा तनहा हूँ मैं !
जबकि सब कुछ तो मेरे पास है !!

आज बरसो बाद, आँखे रोई है मेरी !
और दिल भी, ये जाने क्यों उदास है !!

संवदनाए मर सी गई है, अपनी !
ज़िंदगी मानो, एक ज़िंदा लाश है !!

दुःख दर्द से अपना, पुराना नाता है !
खुशियाँ जाने, क्यों आती ना रास है !!

एक तेरे बगैर तनहा तनहा हूँ मैं !
जबकि सब कुछ तो मेरे पास है !!

पी के ''तनहा''

Monday, 25 April 2016

लोग गलतफहमियों का शिकार हो जाते है अक्सर....

लोग गलतफहमियों का शिकार हो जाते है अक्सर !
मैं जब जब, दर्द को छुपाकर, मुस्कुरा देता हूँ !!
पी के ''तनहा''

Tuesday, 19 April 2016

अजीब कश्मकश में थी ज़िंदगी............

अब किस्मत का दुखड़ा क्या रोऊँ,
कल सब जो खुसी में सरीक थे मेरी
और मैं कहीं और ही था
गुजरे कल के गहरे समुन्दर में डूबा हुआ
समेटता हुआ गुजरे लम्हों को
संजोता हुआ, बीते पलो को
अब जबकि सब कुछ लूट रहा था
मैं, खुद ही के सामने
लगातार शून्य में ताक रहा था
ना कहे बन रहा था कुछ
ना सुने बन रहा था
दोनों के अंदर जुदाई की
अपार अश्रु धारा बह रही थी
 जबकि दोनों ही हंस रहे थे
ऊपरी मन से
कहीं पढ़ ना ले कोई
उनके चेहरे की उदासी को
अजीब कश्मकश में थी ज़िंदगी
ना आगे जा सकता था
ना पीछे हट सकता था
मज़बूरी और हालात
रह रह कर छल रहे थे
और इस नाकाम कोशिश में
हम दोनों ही जल रहे थे
माँ बाप की उम्मीद भी जायज थी
और इधर प्यार भी
एक तरफ ममता हिलोरे ले रही थी
और एक तरफ एहसास से भरी संवेदनाये
वक़्त का कहर लगातार जारी था
ये ऐसा वक़्त था, जो दोनों पे भारी था
प्यार करके मगर हम शर्मिंदा क्यों है !
अगर शर्मिंदा है, तो फिर ज़िंदा क्यों है
ये बात ऐसी है कि किसी से कह नही सकता
तेरी आँखों में आंसू हो, ये मैं सह नही सकता
अब आगे क्या कहूँ तुमसे
हम दोनों को समझना होगा
ये जो हालात है, इनसे गुजरना होगा लड़ना होगा
ताउम्र हम प्यार करेंगे
एक दूजे के दिल में रहेंगे
मुझे सजा दे दो तुम, गुनहगार हूँ तुम्हारा
जैसा भी हूँ, जो भी प्यार हूँ तुम्हारा


पी के ''तनहा''

Saturday, 16 April 2016

मैंने छोड़ दी, दर्द की नुमाइशे करनी.......

मुझको मन ही मन समझाने लगी है !
ख़ामोशी भी आजकल, गुनगुनाने लगी है !!

मैंने छोड़ दी, दर्द की नुमाइशे करनी !
खुशिया अब अपने घर भी आने लगी है !!

पी के ''तनहा''

Wednesday, 13 April 2016

तन्हाई भी, सहाब, एक बड़ी बीमारी है......

ज़िंदगी से जंग भी, निरन्तर जारी है !
मगर ज़िंदगी मुझसे, कभी ना हारी है !!

दर्द ने भी पीछा, छोड़ा नहीं आज तक !
आँख भी आँसुओ, की बहुत आभारी है !!

अमीरी कौन चीज़ होती है, क्या जाने !
हाँ, अपनी तो गरीबी से, बस यारी है !!

यूँ बेइज्जत हमे, सरेआम ना किया करो !
ये इज्जत- विज्जत, हमे भी प्यारी है !!

ये ख्वाब, ये सपने, मेरे पुरे नहीं होते !
किस्मत नाम की, मेरे साथ लाचारी है !!

सब कुछ पास है, फिर भी हूँ ''तनहा'' !
तन्हाई भी, सहाब, एक बड़ी बीमारी है !!

पी के ''तनहा''

Monday, 4 April 2016

तुम आओगे, सोच के बैठे है इंतज़ार में तुम्हारे......

तेरी यादों का मौसम, जब अनायस लौट आता है !
ये मन, तुझसे मिलने को बहुत ही छटपटाता है !!

बहुत बैचेन होता हूँ, कहीं दिल लगता नहीं मेरा !
कोई लम्हा नहीं जाता, इंतज़ार करते हुए तेरा !!

मेरी हर कविता का, अब बस सार ही तुम हो !
ना जाने मगर, कैसी गलतफहमी में तुम गुम हो !!

मिला जिस रोज़ मैं तुमसे, गर वो लम्हा नहीं होता !
मैं भी आज खुद ही में, ऐसे ''तनहा'' नहीं होता !!

ना जाने कौन सा ऐसा, गुनाह मुझसे है हो गया !
बातो ही बातो में, तू मुझसे कुछ ऐसा खो गया !!

काश जाने से पहले तू, मुझे एक बार बता देता !
मैं, खुद को, खुद के जुर्म की, सजा तो दे लेता !!

अब ज़िंदगी जीने के, बस बाकी यही है सहारे !
तुम आओगे, सोच के बैठे है इंतज़ार में तुम्हारे !!


पी के ''तनहा''

Friday, 1 April 2016

बस एक बूंद का प्यासा था ''तनहा''..........

सदिया बीत गई, तेरे इंतज़ार में, मगर !
सदियों बाद सामने, फिर इंतज़ार था !!

चाह थी मेरी, कि मुझे प्यार मिले !
चाहत का सिलसिला मगर बेकार था !!

प्यार नहीं था, वो खाली सा एहसास था !
शायद कोई, मेरा अधूरा सा ख्वाब था !!

बस एक बूंद का प्यासा था ''तनहा''!
जबकि सारा समुन्दर खुद मेरे पास था !!

पी के ''तनहा''