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Wednesday, 31 August 2016

कुछ ख्वाहिशे......

एक नन्ही सी
जान के साथ
जन्म लेती है
कुछ ख्वाहिशे
फिर वक़्त और
उम्र के साथ
बढ़ती जाती है
निरंतर.....
टूटने लगती है
लेकिन
समय से पहले
जब नही होता
सामर्थ्य, इन्हें पूरा करने का
खुद टूटने के साथ
तोड़ देती है उसको भी
जुडी होती है
जिसके साथ
जिससे...
यूँ ही मगर
समझाना पड़ता है
खुद को
कि नही होती
पूरी..
एक मुफ़लिस की ख्वाहिशे
ना ही हक है उसको
इन्हें संजोने का
कभी कभी नही होता
एहसास उसको
खुद के होने का
जबकि अच्छे से
जानता है मतलब
कुछ पाने का , कुछ खोने का
जानता है ये भी
कि होता है
वजूद मुस्कुराने से ज्यादा
रोने का
जी हाँ ! रोने का .....
पी के तनहा

Friday, 12 August 2016

साज भी तुम हो, सुर भी तुम हो, तुम ही मेरे संगीत भी.....

मोह्हबत की इस दुनिया में
मेरा इश्क़ भी तुम हो
प्यार भी तुम हो
तुम ही मेरी प्रीत भी
जीवन के इस जंजाल में
मेरे कल भी तुम हो
आज भी तुम हो
तुम ही मेरा अतीत भी
हमदम मेरे इस खेल में
मेरा संसार भी तुम हो
हार भी तुम हो
तुम ही मेरी जीत भी
मधुरमय जीवन के मेरे
साज भी तुम हो
सुर भी तुम हो
तुम ही मेरे संगीत भी
इन शब्दो की दुनिया के
सरताज भी तुम हो
आगाज़ भी तुम हो
तुम ही मेरे गीत भी
अजनबी सी इन राहों में
मेरे जीवन तुम हो
हम- दम तुम हो
तुम ही मेरे मीत भी
मोह्हबत की इस दुनिया में
मेरा इश्क़ भी तुम हो
प्यार भी तुम हो
तुम ही मेरी प्रीत भी


पी के तनहा

Monday, 8 August 2016

ये रामायण अपनी थी, हम ही रावण औ राम ...........

मोह्हबत की दुनिया में, था हमारा भी नाम !
इश्क़ करने का फिर, मिला हमे ये परिणाम !!
हंसी रूठी रूठी थी, बस गुमसुम थे सुबह शाम !
दौलत , शोहरत सब गयी ,हुए ऐसे गुमनाम !!
प्यार भी देखा, प्रीत भी देखी, देखी ऐसी शान !
ये रामायण अपनी थी, हम ही रावण औ राम !!
प्यार में पड़कर लूट बैठे, कुछ करके ऐसा काम !

दोष भी सारा अपना था, देते किसको इल्जाम !!

''ए खुदा'' मुझे कुछ दर्द ओ गम उधार दे ...

''ए खुदा'' मुझे कुछ दर्द ओ गम उधार दे !
खुशिया तो रास आती नहीं आजकल !!
शायद ये दर्द ही जिंदगी संवार दे !!

पी के तनहा 

वो अब रोती भी नहीं .....

जिंदगी लम्बी नहीं होती मगर, छोटी भी नहीं !
जैसी दिखती है ये, वैसी होती भी नहीं !!
तुझसे बिछड़ कर उसका ऐसा हाल है ''तनहा''!
कि हंसना तो दूर, वो अब रोती भी नहीं !!

पी के तनहा