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Saturday, 1 October 2011

मिट चली उनकी सब निशानी ..

मिट चली उनकी सब निशानी 
बनकर फिर ,आज एक कहानी 

उनको इतना प्यार किया था 
उसने भी बड़ा प्यार दिया था 
आज याद उनको करते करते 
आँखों में जब आ गया पानी 

मिट चली उनकी सब निशानी
बनकर फिर ,आज एक कहानी 

इस दुनिया में जैसा सुना था 
हमने भी इक सपना बुना था 
सब कुछ लुटा बैठे है .......
आई ऐसे वक़्त ए रवानी 

मिट चली उनकी सब निशानी
बनकर फिर ,आज एक कहानी 

अब जी कर हम क्या करेंगे 
सोचा अब हम भी मरेंगे 
दे दिया घर भार भी दान 
दुनिया वाले कहने लगे दानी 

मिट चली उनकी सब निशानी
बनकर फिर ,आज एक कहानी 

2 comments:

  1. मिट चली उनकी सब निशानी
    बनकर फिर ,आज एक कहानी .... बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  2. again a fantastic piece !!!
    Loved it

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पी के ''तनहा''