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Saturday, 15 October 2011

ये शर्मा जी भी जाने क्या क्या लिख जाते है ....

मैं ही नहीं बताता, ये सभी बताते है 
की जिंदगी में ऐसे पल भी आते है 
हमारे अपने ही हमें रुलाते है 

कभी लहरें ही डूबा देती है कश्ती को 
तो कभी तूफ़ान भी साहिल बन जाते है ,

कभी हँसाता था मैं लोगो को 
और आज मेरे ही सामने ,
लोग मुझपर हंस जाते है,,,

हालाँकि ये मुमकिन नहीं 
इस ज़माने के दौर में 
मगर गर तुम चाहो तो 
कभी कभी सपने भी सच हो जाते है 
 
जब मैं लिखता हूँ ....
कोई कुछ नहीं कहता 
पर लिखने के बाद ,कहते है 
की ये शर्मा जी भी जाने क्या क्या लिख जाते है 

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पी के ''तनहा''