मुझको नहीं मालूम की ........
ये मन कबसे बेगाना है !
मुझे उनकी सब खबर है लेकिन ..
वो कहते मुझे, अनजाना है !!
अब कहें जो , सो वो कहती रहे !
मुझको इसकी परवाह नहीं !!
वो प्यार करें या ना करें !
ये मन उनका , दीवाना है !!
मुझे उनकी सब खबर है लेकिन ..
वो कहते मुझे, अनजाना है !!
है कुछ भी नहीं , मगर फिर भी .......
मुझको एक विश्वास है..........
जो मिलके भी , मिल पता नहीं ........
होता वही क्यों खास है ...
यही सोच सोच के, हूँ परेशाँ.....
वो अपना है , या बेगाना है ....
मुझे उनकी सब खबर है लेकिन ..
वो कहते मुझे, अनजाना है !!
अजीब उलझन है शायद वो आपके साथ झेडखानी
ReplyDeleteकर रही हो ..है ना....
बहूत, बहूत सुंदर रचना...
बहुत अच्छी रचना......
ReplyDeleteसुन्दर भाव.
अनु