जब छोटा था , तब एक नाम सुना था जिंदगी ........
आज तक उसको ही सोच रहा हूँ ...की मैं क्यों सोच रहा हूँ...............
लोग कहते हैं की ... जिंदगी एक हसी ख्वाब है ..
मगर मैंने इसको जीकर देखा तो लगा ....की ......
जिंदगी अश्को की किताब है ...
जो जब चाहे . इन आँखों से बरसात करा सकती है ...
लेकिन उसका भी एक अलग ही आनंद हैं ..
जिसमे सिर्फ दर्द ही दर्द झलकता हैं ....
खुशियाँ तो सभी के हिस्से में आ जाती है ..मगर ..
दर्द किस्मत वालो को ही मिलता है ....
और जाते जाते यूँ जिंदगी से कुछ पूछना चाहता हूँ ....की ....
इस तन्हाई में ,उदासी के कोई गीत तो गाये !
बहुत सह चुके , इस दर्द को कोई तो समझाए !!
मुझे मुस्कान के बदले , मिली अश्को की सोगाते !
ऐ ''हमसफर'' आकर जरा बता मुझको ......
इस जिंदगी को अब कैसे जिया जाये !!
प्रस्तुतकर्ता :- पी के शर्मा
No comments:
Post a Comment
आपके सुझाव और प्रतिक्रियाएं सादर आमंत्रित है ! आपकी आलोचना की हमे आवश्यकता है,
आपका अपना
पी के ''तनहा''