तुझसे ही वजूद है मेरा, इस जमाने में !
कभी चुपके से आओ मेरे आशियाने में !!
मैं इंतज़ार करता हूँ तेरा, हर पल, हर घडी !
शायद तुम्हे मजा आता है, यूँ सताने में !!
ये इमारती खुसबू, फीकी पड़ जाएँगी तुम्हारी !
दो वक़्त गर बिताओ, मेरे गरीबखाने में !!
मैं, तेरी यादो का, शुक्रिया अदा कैसे करूँ !
बड़ा साथ देती है ये मेरा, मुझे रुलाने में !!
इन अश्क़ो का क्या है, निकल आते है कहीं भी !
और ही मजा है लेकिन, तेरे लिए अश्क़ बहाने में !!
वो गुजरे पल संजो कर रखे है, मैंने आज भी !
जिनका योगदान रहा था, कभी मुझको हसाने में !!
पी के ''तनहा''
मौलिक एवं अप्रकाशित रचना।
आपकी लिखी रचना बुधवार 15/01/2014 को लिंक की जाएगी...............
ReplyDeletehttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in
आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
thnks Digvijay ji
Deleteबढ़िया ग़ज़ल...बधाई!!
ReplyDeleteअनु
Dhanyawaad
Deleteसुंदर प्रस्तुति के लिये आभार आपका....
ReplyDeletethnks Ankhur Jain ji
Deletethnks Blog Bulating
ReplyDeleteमैं, तेरी यादो का, शुक्रिया अदा कैसे करूँ !
ReplyDeleteबड़ा साथ देती है ये मेरा, मुझे रुलाने में !!
इन अश्क़ो का क्या है, निकल आते है कहीं भी !
और ही मजा है लेकिन, तेरे लिए अश्क़ बहाने में !!
सुन्दर अशआर
मैं, तेरी यादो का, शुक्रिया अदा कैसे करूँ !
ReplyDeleteबड़ा साथ देती है ये मेरा, मुझे रुलाने में !!
इन अश्क़ो का क्या है, निकल आते है कहीं भी !
और ही मजा है लेकिन, तेरे लिए अश्क़ बहाने में !!
सुन्दर अशआर
thnks Dr. Shab
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