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Wednesday, 8 January 2014

ख्वाबो को तोड़ने की, अब कोई साजिश नही होती ....

मेरी आँखों को, अब किसी चीज़ की ख्वाहिश नही होती !
यही कारण है शायद, अब अश्क़ो की बारिश नही होती !!
यूँ तो विरासत में मिले है मुझको, टूटे हुए कुछ सपने !
शुक्र है, ख्वाबो को तोड़ने की, अब कोई साजिश नही होती !!

लेखक :पी के ''तनहा''
मौलिक व् अप्रकाशित 

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पी के ''तनहा''