मोह्हबत की दुनिया में, था हमारा भी नाम !
इश्क़ करने का फिर, मिला हमे ये परिणाम !!
हंसी रूठी रूठी थी, बस गुमसुम थे सुबह शाम !
दौलत , शोहरत सब गयी ,हुए ऐसे गुमनाम !!
प्यार भी देखा, प्रीत भी देखी, देखी ऐसी शान
!
ये रामायण अपनी थी, हम ही रावण औ राम !!
प्यार में पड़कर लूट बैठे, कुछ करके ऐसा काम
!
दोष भी सारा अपना था, देते किसको इल्जाम !!
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आपका अपना
पी के ''तनहा''