जाने क्यों उदास और तनहा है मेरा कफ़न
शायद मेरे इंतज़ार में है मेरा कफ़न
तुजसे ज्यादा वफ़ा निभा रहा है मुझसे
मेरे साथ चिता में जल रहा है मेरा कफ़न
खूब लग रहा है सफेदी में सुर्ख रंग
देख तेरी हिना से जगमगा रहा है मेरा कफ़न
नज़र न लग जाये मेरी लाश को किसी बेवफा की
तुझ से मेरा चेहरा छुपा रहा है मेरा कफ़न
हर निशानी मेरे वजूद की मेरे साथ जल जायगी आज
मेरा आखिरी निशान भी मिटा रहा है मेरा कफ़न
शायद कभी तुजसे मुलाकात हो की ना हो
तुजसे बहुत दूर मुझे ले जा रहा है मेरा कफ़न
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पी के ''तनहा''