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Friday, 20 April 2012

इन लबों पे कहाँ अब हसीं आएँगी ..........

मुझसे पूछो जरा !
दर्द होता है क्या !! 
बिन तेरे ए सनम !
तनहा कैसे जिया !!
 
वो यादे तेरी मुझको तड़पायन्गी !
इन लबों पे कहाँ अब हसीं आएँगी !!
मुझको दिए जो तुने वो गम !
उन गमो का प्याला है मैंने पिया !!
 
मुझसे पूछो जरा !
दर्द होता है क्या !!
 
वो रातें भी कितनी हसीं थी यारा !
पाया था मैंने , जिनमे प्यार तुम्हारा !!
अपने आप से ही सहेम सा जाता हूँ मैं !
 इस कद्र तुने मुझको तोड़ दिया !!
 
मुझसे पूछो जरा !
दर्द होता है क्या !! 
बिन तेरे ए सनम !
तनहा कैसे जिया !!

2 comments:

  1. वो यादे तेरी मुझको तड़पायन्गी(तडपायेगीं) !
    इन लबों पे कहाँ अब हसीं आएँगी !!
    अच्छी यादे को हमसफर बनाइये .... !
    लबों पर हंसी अपने-आप आजायेगी .... !!

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आपका अपना
पी के ''तनहा''