अश्को का समुन्दर सुख गया !
अब बचा नहीं कुछ बहने को !!
मेरी ख़ामोशी सब कुछ कह गयी !
अब बचा नहीं कुछ कहने को !!
कहने को तो, हमदर्द तुझे !
वो दिए जो मीठे दर्द मुझे !!
मुझे दर्द सभी अपने दे दे !
अब बचा नही कुछ सहने को !!
ये ख़ामोशी , ये तन्हाई !
नही साथ रही ,मेरी परछाई !!
यूं ही हाल पे , मेरे मुझको छोडो !
मैं जैसा हूँ , मुझे रहने दो !!
अश्को का समुन्दर सुख गया !
अब बचा नहीं कुछ बहने को !!
मेरी ख़ामोशी सब कुछ कह गयी !
अब बचा नहीं कुछ कहने को !!
मुझे दर्द सभी अपने दे दे !
ReplyDeleteअब बचा नही कुछ सहने को !!
प्रेम में सब संभव ,कुछ बचा नहीं लिखने को .... !!