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Thursday, 26 April 2012

अब बचा नहीं, कुछ कहने को.......

अश्को का समुन्दर सुख गया !
अब बचा नहीं कुछ बहने को !!
मेरी ख़ामोशी सब कुछ कह गयी !
अब बचा नहीं कुछ कहने को !! 
 
कहने को तो, हमदर्द तुझे !
वो दिए जो मीठे दर्द मुझे !!
मुझे दर्द सभी अपने दे दे !
अब बचा नही कुछ सहने को !!
 
ये ख़ामोशी , ये तन्हाई !
नही साथ रही ,मेरी परछाई !!
यूं ही हाल पे , मेरे मुझको छोडो !
मैं जैसा हूँ , मुझे रहने दो !!
 
अश्को का समुन्दर सुख गया !
अब बचा नहीं कुछ बहने को !!
मेरी ख़ामोशी सब कुछ कह गयी !
अब बचा नहीं कुछ कहने को !! 
 
  

1 comment:

  1. मुझे दर्द सभी अपने दे दे !
    अब बचा नही कुछ सहने को !!
    प्रेम में सब संभव ,कुछ बचा नहीं लिखने को .... !!

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पी के ''तनहा''