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Wednesday, 13 June 2012

फिर शुरू जो हुआ , सिलसिला हादसों का ...

मेरे साथ रहा है एक खामोश लम्हा !
काफिला मेरे साथ, मगर रहा मैं तनहा !!

मैंने ये नज्मे  , तेरे नाम लिख दी !
हकीकत मैंने ये ,सरेआम कर   दी !!
मोह्हबत ये तेरी मिले , ना मिले !
जिंदगानी मैंने ये तेरे नाम कर दी !!

ये अश्को की बारिश , ये गमो का साया !
वो यादों का मौसम , जो संग संग बिताया !!
फिर शुरू जो हुआ , सिलसिला हादसों का !
हर पल तो फिर , दर्द ओ गम लेके आया !!

और यूं तो.........

मेरे साथ रहा है एक खामोश लम्हा !
काफिला मेरे साथ, मगर मैं रहा तनहा !!


3 comments:

  1. बहुत सुन्दर.....

    मैंने ये नज्मे , तेरे नाम लिख दी !
    हकीकत मैंने ये ,सरेआम कर दी !!
    मोह्हबत ये तेरी मिले , ना मिले !
    जिंदगानी मैंने ये तेरे नाम कर दी !!

    बहुत खूब..........

    अनु

    ReplyDelete
  2. बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....


    इंडिया दर्पण
    पर भी पधारेँ।

    ReplyDelete

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पी के ''तनहा''