मेरे साथ रहा है एक खामोश लम्हा !
काफिला मेरे साथ, मगर रहा मैं तनहा !!
मैंने ये नज्मे , तेरे नाम लिख दी !
हकीकत मैंने ये ,सरेआम कर दी !!
मोह्हबत ये तेरी मिले , ना मिले !
जिंदगानी मैंने ये तेरे नाम कर दी !!
ये अश्को की बारिश , ये गमो का साया !
वो यादों का मौसम , जो संग संग बिताया !!
फिर शुरू जो हुआ , सिलसिला हादसों का !
हर पल तो फिर , दर्द ओ गम लेके आया !!
और यूं तो.........
मेरे साथ रहा है एक खामोश लम्हा !
काफिला मेरे साथ, मगर मैं रहा तनहा !!
काफिला मेरे साथ, मगर रहा मैं तनहा !!
मैंने ये नज्मे , तेरे नाम लिख दी !
हकीकत मैंने ये ,सरेआम कर दी !!
मोह्हबत ये तेरी मिले , ना मिले !
जिंदगानी मैंने ये तेरे नाम कर दी !!
ये अश्को की बारिश , ये गमो का साया !
वो यादों का मौसम , जो संग संग बिताया !!
फिर शुरू जो हुआ , सिलसिला हादसों का !
हर पल तो फिर , दर्द ओ गम लेके आया !!
और यूं तो.........
मेरे साथ रहा है एक खामोश लम्हा !
काफिला मेरे साथ, मगर मैं रहा तनहा !!
बहुत सुन्दर.....
ReplyDeleteमैंने ये नज्मे , तेरे नाम लिख दी !
हकीकत मैंने ये ,सरेआम कर दी !!
मोह्हबत ये तेरी मिले , ना मिले !
जिंदगानी मैंने ये तेरे नाम कर दी !!
बहुत खूब..........
अनु
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
ReplyDeleteइंडिया दर्पण पर भी पधारेँ।
thats great sir..
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