यूं ही चला आ रहा हूँ कबसे जिंदगी को जीतता हारता, तलाश है मंजिल की डगर की ,तलाश है मेरे हमसफ़र की ....
शुभकामनायें !!
मोहबत शय ही ऐसी है......अनु
JI anu ji sahi kha aapne
Thnks Badi MAAA
आपके सुझाव और प्रतिक्रियाएं सादर आमंत्रित है ! आपकी आलोचना की हमे आवश्यकता है,आपका अपना पी के ''तनहा''
शुभकामनायें !!
ReplyDeleteमोहबत शय ही ऐसी है......
ReplyDeleteअनु
JI anu ji sahi kha aapne
ReplyDeleteThnks Badi MAAA
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