जिंदगी लम्हा बनकर , अक्सर मेरे पास आती है !
कुछ अपनी कहती है,और कुछ मेरी सुनकर , मुझसे बतियाती है !!
मैं पूछ बैठता हूँ , उससे की, क्यों हो तुम ऐसी .....
मेरे इस सवाल से , वो सोच में पड़ जाती है !!
और बहुत सोचने के बाद , मुझसे कहती है !
की आओ तुम्हे बताती हूँ , की जिंदगी कैसे जी जाती है !!
और फिर अतीत की कोठरी में ले जाकर ....
मेरे बीते पलो को याद दिलाती है !!
इन सबको क्यों भूल जाता है इन्सान ...
ये कह कह कर मुझे रुलाती है !
तब समझ आया , की जिंदगी पल पल क्यों आजमाती है !
क्यों हंसती है हमे , और क्यों रुलाती है !!
ये तो गुरु है, जो हमेशा जीवन का पाठ पढ़ाती है !
और यूं ही , लम्हा लम्हा जी कर , चली जाती है !!
अब तो क्या आपसे : पी के ''तनहा''
कुछ अपनी कहती है,और कुछ मेरी सुनकर , मुझसे बतियाती है !!
मैं पूछ बैठता हूँ , उससे की, क्यों हो तुम ऐसी .....
मेरे इस सवाल से , वो सोच में पड़ जाती है !!
और बहुत सोचने के बाद , मुझसे कहती है !
की आओ तुम्हे बताती हूँ , की जिंदगी कैसे जी जाती है !!
और फिर अतीत की कोठरी में ले जाकर ....
मेरे बीते पलो को याद दिलाती है !!
इन सबको क्यों भूल जाता है इन्सान ...
ये कह कह कर मुझे रुलाती है !
तब समझ आया , की जिंदगी पल पल क्यों आजमाती है !
क्यों हंसती है हमे , और क्यों रुलाती है !!
ये तो गुरु है, जो हमेशा जीवन का पाठ पढ़ाती है !
और यूं ही , लम्हा लम्हा जी कर , चली जाती है !!
अब तो क्या आपसे : पी के ''तनहा''
अधूरे सपने को
ReplyDeleteपूरा करने को
कह कर जाती है ?
hmmmmm Badi maaa
Deleteसुन्दर कविता |
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
Thanks Tushar ji
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