यूं ही चला आ रहा हूँ कबसे जिंदगी को जीतता हारता, तलाश है मंजिल की डगर की ,तलाश है मेरे हमसफ़र की ....
बहुत खूब !आज की ब्लॉग बुलेटिन 'खलनायक' को छोड़ो, असली नायक से मिलो - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
thnks mishra ji
बहुत सुन्दर | पढ़कर आनंद आया | आभार कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें | Tamasha-E-ZindagiTamashaezindagi FB Page
wah......
Thnks sinha shab
आपके सुझाव और प्रतिक्रियाएं सादर आमंत्रित है ! आपकी आलोचना की हमे आवश्यकता है,आपका अपना पी के ''तनहा''
बहुत खूब !
ReplyDeleteआज की ब्लॉग बुलेटिन 'खलनायक' को छोड़ो, असली नायक से मिलो - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
thnks mishra ji
Deleteबहुत सुन्दर | पढ़कर आनंद आया | आभार
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Tamasha-E-Zindagi
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