यूं ही चला आ रहा हूँ कबसे जिंदगी को जीतता हारता, तलाश है मंजिल की डगर की ,तलाश है मेरे हमसफ़र की ....
बहुत खूब
thnks Rastogi shab
जीवन जिससे पाया उसकी दुआएं तो रक्षा कवच बनती ही हैं.....अनु
thnks ANU ji
आपके सुझाव और प्रतिक्रियाएं सादर आमंत्रित है ! आपकी आलोचना की हमे आवश्यकता है,आपका अपना पी के ''तनहा''
बहुत खूब
ReplyDeletethnks Rastogi shab
ReplyDeleteजीवन जिससे पाया उसकी दुआएं तो रक्षा कवच बनती ही हैं.....
ReplyDeleteअनु
thnks ANU ji
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