साथ तुझको ना पाकर, हम बहुत रोये !
तुझसे दिल को लगाकर, हम बहुत रोये !!
सामने तेरे ये लब, खामोश रहे लेकिन !
घर अपने जाकर के , हम बहुत रोये !!
बिन तेरे, तन्हाई में, मर मर के जीये हम !
आज खुद को जिन्दा देखकर, हम बहुत रोये !!
मालूम था, छोड़ के जाओगे तुम मुझको !
नजरे बचा कर, तुमसे हम बहुत रोये !!
मोहब्बत का हश्र, आज हमने भी देख लिया !
तुझको खुदा बनाकर, हम बहुत रोये !!
पी के ''तनहा''
तुझसे दिल को लगाकर, हम बहुत रोये !!
सामने तेरे ये लब, खामोश रहे लेकिन !
घर अपने जाकर के , हम बहुत रोये !!
बिन तेरे, तन्हाई में, मर मर के जीये हम !
आज खुद को जिन्दा देखकर, हम बहुत रोये !!
मालूम था, छोड़ के जाओगे तुम मुझको !
नजरे बचा कर, तुमसे हम बहुत रोये !!
मोहब्बत का हश्र, आज हमने भी देख लिया !
तुझको खुदा बनाकर, हम बहुत रोये !!
पी के ''तनहा''
thnks shab ji
ReplyDeleteअच्छा लिखते हैं आप!! लिखते रहिए और धार पैदा होगी लेखन में!! शुभकामनाएँ!
ReplyDeletethnks ji
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