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Wednesday, 19 February 2014

मोहब्बत का हश्र, आज हमने भी देख लिया .....

साथ तुझको ना पाकर, हम बहुत रोये !
तुझसे दिल को लगाकर, हम बहुत रोये !!

सामने तेरे ये लब, खामोश रहे लेकिन !
घर अपने जाकर के , हम बहुत रोये !!

बिन तेरे, तन्हाई में, मर मर के जीये हम !
आज खुद को जिन्दा देखकर, हम बहुत रोये !!

मालूम था, छोड़ के जाओगे तुम मुझको !
नजरे बचा कर, तुमसे हम बहुत रोये !!

मोहब्बत का हश्र, आज हमने भी देख लिया !
तुझको खुदा बनाकर, हम बहुत रोये !!



पी के ''तनहा''

3 comments:

  1. अच्छा लिखते हैं आप!! लिखते रहिए और धार पैदा होगी लेखन में!! शुभकामनाएँ!

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पी के ''तनहा''