Pages

Tuesday, 25 February 2014

तेरी यादें, मेरे नगमो में रंग भरती है.........

कभी बस जाती है, दिल में मेरे !
कभी मुझको उदास करती है !!
तेरी यादें, जो मुझसे बात करती है !
तुझको, बस तुझ ही को याद करती है !!

इसी कश्मकश में, बिखर जाता हूँ मैं !
आती है तेरी याद, संवर जाता हूँ मैं !!
मैं जब जब होता हूँ, ''तनहा '' कभी !
आकर मेरी तन्हाई, दूर करती है !!

कभी बस जाती है, दिल में मेरे !
कभी मुझको उदास करती है !!

साथ जब जब तेरी यादो का ना पाते है !
मेरे शब्द भी, बेअसर से हो जाते है !!
तेरी यादों में डूब कर, मैंने लिखा है जब भी !
तेरी यादें, मेरे नगमो में रंग भरती है !!

कभी बस जाती है, दिल में मेरे !
कभी मुझको उदास करती है !!


 पी के ''तनहा''

4 comments:

  1. बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति
    आह पर वाह वाह
    हार्दिक शुभकामनायें

    ReplyDelete

आपके सुझाव और प्रतिक्रियाएं सादर आमंत्रित है ! आपकी आलोचना की हमे आवश्यकता है,
आपका अपना
पी के ''तनहा''