सपनो से सजा हुआ संसार लिखता हूँ !
अधूरा सा अपनी तरह, श्रृंगार लिखता हूँ !!
ये मन जो मचलता है बिन पानी मछली जैसे !
करुणा भरी उसकी, मैं पुकार लिखता हूँ !!
मैं अक्सर, अकेला महसूस करता हूँ खुद को !
ढेर सारा मैं खुद ही पर, प्यार लिखता हूँ !!
यूँ तो ज़िंदगी भी कमी नही छोड़ती, रुलाने में !
मैं एहसान मगर उसका, बार बार लिखता हूँ !!
दिल में दफ़न है ''इज़हार ए मोह्हबत'' आज भी !
कोरे कागज पर वही, मैं इज़हार लिखता हूँ !!
अक्सर बिना सावन, बरसात होती है अश्को की !
डूब कर खुद ही में, अश्क़ो की बौछार लिखता हूँ !!
हासिल कुछ ना हो पायेगा, नफरत से यहाँ !
मैं हर घडी, हर जगह, बस प्यार लिखता हूँ !!
पी के ''तनहा''
अधूरा सा अपनी तरह, श्रृंगार लिखता हूँ !!
ये मन जो मचलता है बिन पानी मछली जैसे !
करुणा भरी उसकी, मैं पुकार लिखता हूँ !!
मैं अक्सर, अकेला महसूस करता हूँ खुद को !
ढेर सारा मैं खुद ही पर, प्यार लिखता हूँ !!
यूँ तो ज़िंदगी भी कमी नही छोड़ती, रुलाने में !
मैं एहसान मगर उसका, बार बार लिखता हूँ !!
दिल में दफ़न है ''इज़हार ए मोह्हबत'' आज भी !
कोरे कागज पर वही, मैं इज़हार लिखता हूँ !!
अक्सर बिना सावन, बरसात होती है अश्को की !
डूब कर खुद ही में, अश्क़ो की बौछार लिखता हूँ !!
हासिल कुछ ना हो पायेगा, नफरत से यहाँ !
मैं हर घडी, हर जगह, बस प्यार लिखता हूँ !!
पी के ''तनहा''
बहुत सुन्दर रचना ..
ReplyDeleteआपको जन्मदिन के साथ ही गणतंत्र दिवस की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!