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Friday, 1 April 2016

बस एक बूंद का प्यासा था ''तनहा''..........

सदिया बीत गई, तेरे इंतज़ार में, मगर !
सदियों बाद सामने, फिर इंतज़ार था !!

चाह थी मेरी, कि मुझे प्यार मिले !
चाहत का सिलसिला मगर बेकार था !!

प्यार नहीं था, वो खाली सा एहसास था !
शायद कोई, मेरा अधूरा सा ख्वाब था !!

बस एक बूंद का प्यासा था ''तनहा''!
जबकि सारा समुन्दर खुद मेरे पास था !!

पी के ''तनहा''

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पी के ''तनहा''