तेरे आने की इक बंधी हुई है आश
तेरे बिन मैं हूँ जाना ,बस इक जिंदा लाश
कब से राह तेरी देख रहा हूँ ...
यादों में तुझे सोच रहा हूँ
तेरे इक दीदार की खातिर रुकी हुई है साँस
तेरे आने की इक बंधी हुई है आश
तेरे बिन मैं हूँ जाना ,बस इक जिंदा लाश
यूं तो मिले बहुत मुझे इस जिंदगी ए डगर में
क्यों बस तुम ही बसे इस जिगर में
तुम्हे भी नहीं होगा मालूम
तुम हो कितने खाश
तेरे आने की इक बंधी हुई है आश
तेरे बिन मैं हूँ जाना ,बस इक जिंदा लाश
मैंने शोहरत बहुत कमाया
पर बात समझ बाद में आया
आज हूँ मैं अपनी जिंदगी का शेन्शाह
पर कुछ भी नहीं है मेरे पास
तेरे आने की इक बंधी हुई है आश
तेरे बिन मैं हूँ जाना ,बस इक जिंदा लाश
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पी के ''तनहा''