यूं तो हर दर्द को हम ख़ुशी से सह गये !
फिर एक दिन सोचा जो जिंदगी को !!
पता चला , कुछ ख्वाब अभी अधूरे रह गये !
खुशियाँ आई तो थी, कई बार दर पे मेरे !!
कभी ख़ुशी से झलके ये अश्क मेरे !
तो कभी अनायस ही , बह गये !!
और हमने , चाहा तो बहुत इन्हें रोकना !
मगर हम सोचते , खड़े यूं ही रह गये !!
बहुत सुंदर रचना
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