Pages

Monday, 26 March 2012

कभी ख़ुशी से झलके ये अश्क मेरे..........

यूं तो हर दर्द को हम ख़ुशी से सह गये !
फिर एक दिन सोचा जो जिंदगी को !!
 
पता चला , कुछ ख्वाब अभी अधूरे रह गये !
खुशियाँ आई तो थी, कई बार दर पे मेरे !!
 
कभी ख़ुशी से झलके ये अश्क मेरे !  
तो कभी अनायस ही , बह गये !!
 
और हमने , चाहा तो बहुत इन्हें रोकना !
मगर हम सोचते , खड़े यूं ही रह गये !!

1 comment:

आपके सुझाव और प्रतिक्रियाएं सादर आमंत्रित है ! आपकी आलोचना की हमे आवश्यकता है,
आपका अपना
पी के ''तनहा''