यूं ही चला आ रहा हूँ कबसे जिंदगी को जीतता हारता, तलाश है मंजिल की डगर की ,तलाश है मेरे हमसफ़र की ....
बहुत सुन्दर सृजन, बधाई.कृपया मेरे ब्लॉग " meri kavitayen" पर पधारें, मेरे प्रयास पर अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें .
किसी से दूरी ऐसा करने को मजबूर कर देती है ... बहुत खूब ...
sunder.....
बहुत शानदार .....!!!
आपके सुझाव और प्रतिक्रियाएं सादर आमंत्रित है ! आपकी आलोचना की हमे आवश्यकता है,आपका अपना पी के ''तनहा''
बहुत सुन्दर सृजन, बधाई.
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग " meri kavitayen" पर पधारें, मेरे प्रयास पर अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें .
किसी से दूरी ऐसा करने को मजबूर कर देती है ... बहुत खूब ...
ReplyDeletesunder.....
ReplyDeleteबहुत शानदार .....!!!
ReplyDelete