Pages

Friday, 3 August 2012

इस हसने की चाह ने मुझे कितना रुलाया है...


इस हसने की चाह ने मुझे कितना रुलाया है !
हमदर्द नहीं है कोई, बस दर्द मेरा साया है !! 
 
इस मतलबी जिंदगी पर कैसे यकीं कर लू !
मेरी आह पर लोगो को प्यार आया है !!
 
सपने भी छलते रहे मुझको , मुझसे ही !
हर बार लगा जैसे , लौट तू आया है !!
 
इस हसने की चाह ने मुझे कितना रुलाया है !
हमदर्द नहीं है कोई, बस दर्द मेरा साया है !! 

No comments:

Post a Comment

आपके सुझाव और प्रतिक्रियाएं सादर आमंत्रित है ! आपकी आलोचना की हमे आवश्यकता है,
आपका अपना
पी के ''तनहा''