आज वो मुसाफिर, फिर से याद आया बहुत !
मैंने जिससे, था, दिल को लगाया बहुत !!
मैंने जां-ओ-जिंदगी, कर दी नाम सब उसके !
मगर उसने, था मुझको आजमाया बहुत !!
अब मेरी वफा को कैसे, नीलाम वो करता !
हर पल था, मैंने जिसको, हंसाया बहुत !!
बिछड के उससे अब, कैसे हम जी ले !
साथ जिसके हँसे, उसने रुलाया बहुत !!
पी के ''तनहा''
मैंने जिससे, था, दिल को लगाया बहुत !!
मैंने जां-ओ-जिंदगी, कर दी नाम सब उसके !
मगर उसने, था मुझको आजमाया बहुत !!
अब मेरी वफा को कैसे, नीलाम वो करता !
हर पल था, मैंने जिसको, हंसाया बहुत !!
बिछड के उससे अब, कैसे हम जी ले !
साथ जिसके हँसे, उसने रुलाया बहुत !!
पी के ''तनहा''
(*_*)
ReplyDeleteशुभकामनायें !!