ज़िंदगी से जंग भी, निरन्तर जारी है !
मगर ज़िंदगी मुझसे, कभी ना हारी है !!
दर्द ने भी पीछा, छोड़ा नहीं आज तक !
आँख भी आँसुओ, की बहुत आभारी है !!
अमीरी कौन चीज़ होती है, क्या जाने !
हाँ, अपनी तो गरीबी से, बस यारी है !!
यूँ बेइज्जत हमे, सरेआम ना किया करो !
ये इज्जत- विज्जत, हमे भी प्यारी है !!
ये ख्वाब, ये सपने, मेरे पुरे नहीं होते !
किस्मत नाम की, मेरे साथ लाचारी है !!
सब कुछ पास है, फिर भी हूँ ''तनहा'' !
तन्हाई भी, सहाब, एक बड़ी बीमारी है !!
पी के ''तनहा''
मगर ज़िंदगी मुझसे, कभी ना हारी है !!
दर्द ने भी पीछा, छोड़ा नहीं आज तक !
आँख भी आँसुओ, की बहुत आभारी है !!
अमीरी कौन चीज़ होती है, क्या जाने !
हाँ, अपनी तो गरीबी से, बस यारी है !!
यूँ बेइज्जत हमे, सरेआम ना किया करो !
ये इज्जत- विज्जत, हमे भी प्यारी है !!
ये ख्वाब, ये सपने, मेरे पुरे नहीं होते !
किस्मत नाम की, मेरे साथ लाचारी है !!
सब कुछ पास है, फिर भी हूँ ''तनहा'' !
तन्हाई भी, सहाब, एक बड़ी बीमारी है !!
पी के ''तनहा''
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 15 अप्रैल 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteBahut badhiya
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